Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निर्जला एकादशी के मौके पर हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर इकट्ठा हुए। सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि आस-पास के इलाकों और देश के दूसरे हिस्सों से आए श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते और पूजा-अर्चना करते दिखाई दिए।
पुजारियों के मुताबिक निर्जला एकादशी पर व्रत रखने और पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व है। वे इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं भी बताते हैं।
पुजारी गोपाल जी ने बताया कि “इसकी कहानी छोटी सी है एक बार भगवान श्री कृष्ण ने कहा भीम से भाई कभी वर्त तो किया करो एकादशी का व्रत, भीम ने कहा मैं बहुत पेटू आदमी हूं, कभी भूखा नहीं रह सकता कोई ऊपाय छोटा सा बता दीजिए तो भगवान श्री कृष्ण ने ही कहा कि तुम अगर ज्येष्ठ की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखो और निर्जला ही रहो और पानी भी मत पियो तो तुम्हें सारे एकादशी का फल एक में ही मिल जाएगा। तो उन्होंने कहा कि आपकी बड़ी कृपा है हम पर, हम आपकी बात मानकर रहेंगे। तो इसी जेठ की एकादशी को महाराज भीम एकादशी व्रत किए, बिना जल पिये रहे और इसको करने से इस एकादशी का नाम ही पड़ गया भीमसेन एकादशी।”
निर्जला एकादशी हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और बिना कुछ खाए और पानी पिए कठोर उपवास रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
श्रद्धालुओं का कहना है कि “आज संगम स्नान करके एकादशी का फल और दोगुना हो जाता है, अभी अभी मैनें स्नान किया है भगवान की इच्छा आज का वो व्रत भी संपूर्ण हो जाए।”
“आज निर्जला एकादशी है हम लोग बहुत महत्व देते है यहां हम ,स्नान करते है दान पुण्य करते है। एकादशी व्रत है एकादशी जो नॉर्मल बारह जो होती है वो नॉर्मल होती है लेकिन जो ये निर्जला एकादशी होती है, इसमें हम लोग जल ग्रहण नही करते है और यह नारायण की प्रसन्नता के लिए और आपनी आत्मा के मोक्ष के लिए होता है।
“सारे व्रत तो हम दूसरो के लिए रखते है लेकिन ये एकादशी जो होती है वो अपने आत्म कल्याण के लिए होती है तो उसी के लिए आज हम लोगों ने संगम स्नान किया। दिन भर व्रत करेंगे नारायण की पूजा करेंगे और सबकी कल्याण की कामना करेंगे।”