Gujarat: गुजरात के भावनगर में बना देश का पहला इको-ब्रिक्स पार्क

Gujarat: पर्यावरण बचाने की मुहिम के तहत विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है, ऐसे में गुजरात के भावनगर में रहने वाले डॉक्टर तेजस दोशी की कोशिशों का जिक्र होना भी लाजमी है। पेशे से सामान्य चिकित्सक डॉक्टर तेजस राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के इस शहर में प्लास्टिक मुक्त अभियान की अगुवाई कर रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित होकर डॉ. दोशी ने प्लास्टिक कचरे, ध्वनि प्रदूषण और पर्यावरण को बचाने के लिए कई अनूठे अभियान शुरू किए।

इनमें उनकी खास पहल- इको-ब्रिक अभियान शामिल है। इसका मकसद प्लास्टिक कचरे को कम करना और भावनगर शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाना है। उन्होंने भावनगर नगर निगम के सहयोग से देश का पहला इको-ब्रिक्स पार्क बनाया, जहां सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे को प्लास्टिक की बोतलों में भर कर कलात्मक रूप से सजाया गया है, उनकी यह मुहिम प्रदूषण से निपटने में लोगों की मानसिकता में बदलाव लाती है।

2014 में सिर्फ 14 लोगों की मदद से शुरू की गई डॉक्टर दोशी की इस मुहिम से अब करीब 25 लाख लोग जुड़ चुके हैं। भारत का पहला इको-ब्रिक्स पार्क बनाने से लेकर “एक कपड़े के थैले के बदले 50 प्लास्टिक बैग” अभियान शुरू करने तक, उनकी पहल को लोगों ने खूब सराहा है।

देश के पहले इको-ब्रिक्स पार्क के संस्थापक डॉ. तेजस दोशी ने बताया कि “50 प्लास्टिक के बैग हमें दीजिए तो हम एक कॉटन बैग आपको देंगे। ऐसे तकरीबन तीन साल से हमारा प्रोजेक्ट चालू है। वो तीन साल के अंदर दो लाख से ज्यादा हमने कॉटन बैग डिस्ट्रीब्यूट किया है और तकरीबन सोसायटी में से हमने करीब एक करोड़ प्लास्टिक बैग कम किए। ये सभी प्रोजेक्ट को लेकर तकरीबन दस साल में करीब 50 लाख किलो प्लास्टिक रिसाइकलिंग किया है जिसकी वजह से हमारी बहुत सारी एक्टिविटी सीएमओ और पीएमओ तक गई है और उसे सराहा भी है।”

पर्यावरण को लेकर डॉ. दोशी की पहल और कोशिशों को मान्यता देते हुए उन्हें भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत भावनगर का ब्रांड एंबेसडर बनाया है, इस विश्व पर्यावरण दिवस पर डॉ. दोशी का सफर लोगों को इस बात की याद दिलाता है कि वास्तविक बदलाव खुद ही कदम बढ़ाने से शुरू होता है।

संस्थापक डॉ. तेजस दोशी ने बताया कि “एक लिटर की पानी के बोतल के अंदर साढे तीन सौ ग्राम नॉन रिसाइकल प्लास्टिक जो 50 माइक्रोग्राम से कम प्लास्टिक के उसको हम फिलफ करते हैं, तो वो पूरी बोतल भर जाती है। वही बोतल को हम ब्रिक बोलते हैं। इको-ब्रिक्स की तरह हम यूज करके इंडिया में सबसे पहला इको-ब्रिक्स पार्क भावनगर में हमने बनाया था जिसके अंदर वॉकिंग ट्रैक, बैठने के बैच, हॉस और ट्री गार्ड सभी चीजें उसके अंदर बनाई थी।

छोटे से पांच सौ एरिया के अंदर वो तकरीबन 1,80,000 या 56 हजार किलो प्लास्टिक यूज किया था। सेेकेंड इको-ब्रिक्स हमने गौरी शंकर लेके के अंदर। जिसके अंदर हमने एक लाख इको-ब्रिक्स यूज किया।”

 

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