Jammu: कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए बेहद खास माना जाने वाला खीर भवानी मेला को शुरू हुआ, जम्मू के जानीपुर स्थित मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। ये मंदिर मध्य कश्मीर के गांदरबल के तुलमुल्ला स्थित खीर भवानी मंदिर की प्रतिकृति है।
माता खीर भवानी को रागन्या देवी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि वे लंका में रहती थीं, जहां रावण और राक्षस उनकी पूजा करते थे। हालांकि जब राजा रावण ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो माता परेशान हो गई और उससे नाराज हो गईं।
तब देवी ने शुद्ध और पवित्र स्थान पर जाने की इच्छा जताई और उन्होंने कश्मीर में तुलमुल्ला को चुना, देवी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जिनमें से हर एक अपने आप में खास है। कुछ श्रद्धालु इस उत्सव को देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं तो वहीं कई लोगों के लिए इसकी मान्यता एकदम अलग है।
खीर भवानी का मुख्य मंदिर कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुल्ला में स्थित है।हालांकि जम्मू में मनाया जाने वाला उत्सव अलग-अलग इलाकों में रहने वाले समुदायों के इससे जुड़े सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते को दिखाता है।
श्रद्धालुओ का कहना है कि “बहुत अच्छा लग रहा है, मगर अपना घर हम मिस कर रहे हैं बहुत। खीर भवानी माता मिस कर रहे हैं। हमारा उधर लखीपुरा है, खंडबरंटिकर.. है, बहुत जगह हैं। हर जगह जाना चाहते हैं। जब किसी वक्त नहीं आते हैं तो बीच में जाते हैं। जाते हैं श्रीनगर तो मगर क्या करेंगे? इस वक्त बाहर नहीं आया जा रहा है जाने का।”
इसके साथ ही कहा कि “इस दिन क्या हुआ था कि इस दिन मूर्तियां निकली थीं। इस दिन निकले थे श्लोक निकले थे खीर कुंड से जो श्रीनगर में खीर कुंड है उसमें दो मुख हैं, दो मुख्या मतलब होते हैं, एक में स्मोकी एक में निकलता है क्रिस्टल क्लियर वाटर अमृत जैसे। एक में निकलता है मिल्की वाटर जब ये मिंगल होते हैं वो अमृत बन जाता है। तो उसी अमृत कुंड में आज ये धारा निकली थी और श्लोक निकले थे मातारानी के बुर्ज पत्तों पर इस दिन और इसके अगले वाले दिन मूर्तियां निकली थीं स्वयं भू मूर्तियां जो मातारानी की मूर्ति और भगवान शंकर की भूति शरण की मूर्ति है वो स्वयं भू निकली
थीं।”