FSSAI: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मोटापे से निपटने के लिए जागरूकता कार्यक्रम

FSSAI:  खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने राज्यों से मोटापे की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने सहित दूसरे कदम उठाने को कहा है।

नियामक ने एक बयान में कहा, ‘‘मोटापे के खिलाफ तत्काल कार्रवाई और तेल की खपत में 10 फीसदी की कमी लाने के प्रधानमंत्री के आह्वान के जवाब में, ‘भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण’ (एफएसएसएआई) ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जागरूकता बढ़ाने और बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता से निपटने के लिए ठोस उपाय लागू करने की अपील की।’’

नई दिल्ली में 27 मई को आयोजित 47वीं केंद्रीय सलाहकार समिति (सीएसी) की बैठक के दौरान इस मामले पर विचार-विमर्श किया गया।

बयान में कहा गया है कि विस्तृत विचार-विमर्श के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से व्यापक जन जागरूकता अभियान सहित समग्र उपाय करने का आग्रह किया गया, ताकि मोटापा मुक्त और स्वस्थ राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके।

चर्चा का एक अहम बिंदु विद्यालयों में ‘शुगर बोर्ड’ लगाये जाने के बारे में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का हालिया निर्देश था। एफएसएसएआई ने राज्यों से इस महत्वपूर्ण पहल को सक्रिय रूप से समर्थन देने और बड़े पैमाने पर लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इससे स्कूल जाने वाले बच्चों में चीनी की अत्यधिक खपत को रोकने में मदद मिलेगी और छोटी उम्र से ही स्वस्थ आहार संबंधी आदतें विकसित होंगी। एफएसएसएआई ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘इन सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य महत्वपूर्ण हैं।’’

चर्चा में राज्यों द्वारा खाद्य सुरक्षा निगरानी बढ़ाने, ‘ईट राइट इंडिया’ आंदोलन को बढ़ावा देने तथा समाज के सभी वर्गों में पौष्टिक और सुरक्षित खाद्य विकल्पों की उपलब्धता को प्रोत्साहित करने की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

प्राधिकरण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके प्रयासों में सभी आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी। 47वीं सीएसी बैठक में 60 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें खाद्य संरक्षा आयुक्त, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधि और खाद्य उद्योग, उपभोक्ता समूहों, कृषि, प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संगठनों के हितधारक शामिल थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *