New Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार और मध्य प्रदेश से आए 18 कारीगरों की मेजबानी की, राष्ट्रपति भवन के ‘आर्टिस्ट्स इन रेसिडेंस’ कार्यक्रम के तहत मुलाकात हुई। इस दौरान बिहार के 12 कलाकारों ने मशहूर मधुबनी पेंटिंग और भोपाल से आए छह कलाकारों ने आदिवासी गोंड कला पेश की। 10 कलाकारों ने मिलकर मधुबनी या मिथिला कला का प्रदर्शन किया, उन्होंने महज सात दिन में 110 फुट लंबी तस्वीर बनाई।
इसके अलावा मधुबनी कलाकारों ने ‘कोहबर घर’ की खास पारंपरिक तस्वीरें भी बनाईं, यह मिथिला में शादियों के लिए खास तौर से बना कमरा होता है। मध्य प्रदेश से आए गोंड आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक खेती पर आधारित तस्वीरें बनाईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन तस्वीरों की भूरि-भूरि तारीफ की। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में कलाकारों को सम्मानित किया।
बिहार संग्रहालय अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि “बिहार के मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने यहां काम किया है और उनकी कलाकृति यहां सामने प्रदर्शित की गई है। आज आदर्णीय राष्ट्रपति महोदय ने उनकी कलाकृतियों को देखा और सबने काफी सराहना की उत्कृष्ट काम पर। वैसे भी मिथिला पेंटिंग की विश्व विख्यात ख्याति है और देश दुनिया में इस पेंटिंग के कलाकारों का नाम है। यहां जितने भी कलाकार शामिल हुए हैं सभी पद्मश्री राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेता हैं या स्टेट अवार्डी हैं।”
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के निदेशक अमिताभ पांडेय का कहना है कि “यह पेंटिंग्स जो खासकर जो हमारी जन जाति करती है वो अपनी सांस्कृतिक विरासत को दिखाने के लिए करती है, अपने पर्यावरण को दिखाने के लिए करती है।तो जिस तरह पर्यावरण, संस्कृति और जीवन एक है, उसको बड़े सुंदर तरीके से चित्रित करती है और उनके बड़े ही सुंदर रंग होते हैं, उनके चटक रंग होते हैं। जिससे सुंदरता और निखरकर आती है।”
मधुबनी के कलाकार मनीषा झा ने कहा कि “हम लोग 10 आर्टिस्ट लोग मिल के ये मिथिला पेंटिंग का 110 फुट का स्क्रोल बनाया है, जो कि हमने कोहबर जो हमारे यहां बनता है, उसकी थीम पे बनाया है। इस पेंटिंग में करीबन 96 मोटिफ्स हैं। हम सबने मिलकर इसको करीबन सात दिन में बनाया है, 110 फुट को।”
“मिथिला पेंटिंग है, राम-सीता से ज्यादातर जुड़ी है। इसका जो है ना जड़, उधर ही से है। उसी से जुड़ कर हम लोग कई चीज बनाते हैं। जैसे कोहबर बनाते हैं। सारा कोहबर का थीम है। जितना शुभ होता है, दूल्हा-दुल्हिन के आयु के लिए एलिफैंट है, मछली है शुभ के लिए। केला का पेड़ है कोहबर के लिए, बेल का पत्ता है वंश वृद्धि के लिए, यही है हम लोगों की कहानी। मिथिला से जुड़े हैं, मिथिला पेंटिंग है।”
“हम यहां पर पिछले सात दिनों से गोंड पेंटिंग का काम कर रहे हैं राष्ट्रपति भवन में। तो अभी जो हम लोग यहां पे चित्र बनाए हैं, वो हमारी परंपरा के बारे में बनाए हैं। हम लोग जो खेती करते हैं, क्योंकि गोंड का काम है, मुख्यत: खेती करना, तो उस आधार पे हम लोग चित्र बनाए हैं। और भी जो मेरे साथी हैं, उनके साथ मिल के बनाए हैं। राष्ट्रपति जी से मिलके मैं बहुत खुश हूं। मुझे राष्ट्रपति जी से मिलने का मौका मिला गोंड आर्ट में। मैं मेरे गुरु को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, उनके माध्यम से मैंने पेंटिंग सीखा। और आज यहां तक पहुंचा हूं। उन्हीं का आशीर्वाद है। और मैं मैडम जी को, राष्ट्रपति जी को काफी धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस लायक समझा।”
“अभी बनाए हैं, दोनों पति-पत्नी बनाए हैं मिल के और ये कहानी बनाके यहां राष्ट्रपति भवन में आके बहुत खुशी की बात है। और मतलब शुरू में अवार्ड मिला है, फर्स्ट भोपाल राज्य स्त्री अवार्ड मिला है। भोपाल में। और रानी दुर्गावती अवार्ड मिला है जबलपुर में। और विक्रम अवार्ड मिला है बंबई में। और स्टेट महिला अवार्ड मिला है दिल्ली में। और अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिला है दिल्ली में। और ये पद्मश्री सम्मान मिला है 2022 में। और यहां आने के बाद दोबारा अभी राष्ट्रपति भवन में फिर से मिलने का मौका मिला है राष्ट्रपति जी के साथ। तो हमको यहां आके बहुत खुशी हुई है। बहुत खुशी की बात है।”