Tea Day: अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में विशेष कार्यक्रम किया आयोजित

Tea Day: भारत ने अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के उपलक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम की मेजबानी कर भारतीय चाय की खुशबू और स्वाद से संस्था के सदस्यों का परिचय कराया।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदायों को सशक्त बनाने और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इस पेय पदार्थ के योगदान को रेखांकित करना था। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने बुधवार को ‘आजीविका के लिए चाय, सतत विकास लक्ष्यों के लिए चाय’ विषय पर एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया। चाय, पानी के बाद दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पेय पदार्थ है। चाय की चुस्की के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया और मेहमानों ने प्रसिद्ध दार्जिलिंग चाय, मसाला चाय, असम और नीलगिरि चाय सहित विभिन्न प्रकार की भारतीय चाय का आनंद लिया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश, न्यूयॉर्क स्थित एफएओ (खाद्य और कृषि संगठन) संयुक्त राष्ट्र संपर्क कार्यालय की निदेशक एंजेलिका जैकोम और केन्या, श्रीलंका और चीन समेत अन्य प्रमुख चाय उत्पादक देशों के प्रतिनिधियों ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए और चाय उत्पादकों, विशेषकर छोटे चाय किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

हरीश ने इस मौके पर कहा, ‘‘भारत में चाय की कहानी केवल व्यापार और स्वाद ही नहीं बल्कि बदलाव की भी कहानी है। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में असम की कोहरे भरी पहाड़ियों से शुरू होकर दार्जिलिंग और नीलगिरि की ढलानों तक फैला भारत का चाय उद्योग ग्रामीण रोजगार, महिला सशक्तीकरण और निर्यात आधारित विकास का आधार बन गया है।’’

भारत द्वारा अक्टूबर 2015 में एफएओ के चाय संबंधी अंतर-सरकारी समूह (आईजीजी) में पेश किए गए प्रस्ताव के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2019 में 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया था।

भारत वैश्विक स्तर पर चाय के सबसे बड़े उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं में से एक है और यह क्षेत्र सीधे 15 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार देता है जिनमें से अधिकतर महिलाएं हैं। हरीश ने कहा, ‘‘इनमें से कई समुदायों के लिए चाय केवल एक उत्पाद नहीं है। यह जीवन जीने का एक तरीका है। सम्मान, अवसर और उम्मीद का स्रोत है।’’

उन्होंने चाय उद्योग के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाते हुए कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन इस उद्योग को प्रभावित कर रहा है और लागत भी बढ़ रही है।’’

उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव और संरचनात्मक असमानताएं छोटे किसानों के लिए चुनौतियां पैदा करती है। श्रमिकों और उत्पादकों दोनों के लिए काम करने की स्थितियों में सुधार और समान लाभ सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए न केवल नीतिगत कार्रवाई की आवश्यकता है, बल्कि नवोन्मेष और लीक से हटकर सोचने की क्षमता की भी आवश्यकता है।’’

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