India: भारत ने बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों का आयात अब सिर्फ दो बंदरगाहों न्हावा शेवा और कोलकाता पोर्ट तक सीमित कर दिया है, जिसका सीधा असर पूर्वोत्तर के 11 भूमि बंदरगाहों से आयात पर पड़ेगा। मतलब ये कि बांग्लादेश अब भूमि बंदरगाहों की बजाए समुद्री बंदरगाहों के जरिए ही निर्यात कर पाएगा।
बीते बांग्लादेश से आयातित कई तरह के सामानों को इन बंदरगाहों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसमें प्लास्टिक, फर्नीचर, प्रोसेस्ड फूड, बेवरेज, कपास और यार्न वेस्ट शामिल हैं।
फुलबारी निर्यात-आयात कल्याण संघ के सदस्य शुभंकर नस्कर ने बताया कि “इंडियन गवर्नमेंट जो डिसीजन ले वो डिसीजन हम लोग मान लेंगे क्योंकि वो अच्छे के लिए डिसीजन किया। मगर फुलबारी बांग्लादेश बॉर्डर से माल इंपोर्ट होता था। तो अभी अगर मान लिजिए मतलब जो स्थल पथ है, स्थल पथ में नजदीक काम हो रहा था। अभी अगर वो लोग मुंबई और कोलकाता पोर्ट में अगर वो लोग इंपोर्ट करेगा और वहां से अगर एक्सपोर्ट करेगा, तो मान लिजिए डेस्टिनेशन बहुत दूर होगा। तो शायद उन लोगों का लॉस में तो जाएगा। यहां पर भी थोड़ा इकोनॉमी खराब होगा।
भारत की ओर से उठाए गए इस कदम से बांग्लादेश को काफी नुकसान होगा। भूमि बंदरगाहों पर प्रतिबंध से निर्यातकों और उपभोक्ताओं दोनों पर असर पड़ेगा। ये कदम भारत सरकार के 2020 में दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस लेने के बाद उठाया गया है। इसे भारतीय वस्तुओं पर ढाका द्वारा लगाए गई प्रतिबंधों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन भारत के इस प्रतिबंध से उसकी सप्लाई चेन पर भी असर पड़ सकता है। खास तौर से पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सीमा व्यापार गड़बड़ा सकता है।
आईसीआरआईआर के प्रोफेसर डॉ. अर्पिता मुखर्जी ने कहा कि “मुझे लगता है कि व्यापार पर कोई भी बाधा उनकी लागत को बढ़ाती है और इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है क्योंकि इससे कीमतें बढ़ती हैं। अगर आप वास्तव में व्यापार करना चाहते हैं, तो कीमतें बढ़ती हैं। उद्योग केवल लाभ मार्जिन तक ही इसे कवर कर सकता है। उसके बाद, वो इसे कवर नहीं कर सकते। इसलिए व्यापार को फायदेमंद होना चाहिए। अगर आप पूरे दक्षिण एशिया को देखें, तो दक्षिण एशिया में अंतर-क्षेत्रीय व्यापार बहुत कम है। अगर इसकी तुलना आसियान या यूरोपीय संघ जैसे किसी भी क्षेत्र से करें तो ये पांच फीसदी से भी कम है। इसलिए, हमें अंतर-क्षेत्रीय आपूर्ति चेन बनाने से कभी लाभ नहीं हुआ है। ये कोई नई बात नहीं है। हम कभी भी एक क्षेत्र के रूप में दक्षिण एशिया की ताकत का लाभ नहीं उठा पाए हैं और कभी-कभी उस पर विचार करना बहुत जरूरी होता है।”
वहीं, कुछ लोगों का तर्क है कि ये प्रतिबंध भारत के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं। जबकि कुछ लोगों को कहना है कि इससे परिवहन की लागत बढ़ेगी क्योंकि आयातित वस्तुओं को दूर के समुद्री बंदरगाहों से लाना पड़ेगा, सीमावर्ती इलाकों के कारोबार को भी मंदी का सामना करना पड़ सकता है।