Varanasi: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई सैन्य कार्रवाई के बाद, तुर्की और अज़रबैजान के प्रति भारतीय पर्यटकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया तेज़ हो गई है। इन दोनों देशों ने पाकिस्तान के प्रति समर्थन व्यक्त किया था, जिससे भारतीय नागरिकों और व्यापारियों में आक्रोश फैल गया है। 2024 में, लगभग 3.3 लाख भारतीय पर्यटकों ने तुर्की और 2.4 लाख ने अज़रबैजान का दौरा किया था, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं में पर्यटन से होने वाली आय में महत्वपूर्ण योगदान मिला था। तुर्की में पर्यटन क्षेत्र का जीडीपी में योगदान लगभग 12% और अज़रबैजान में 7.6% है।
हालांकि, दोनों देशों के पाकिस्तान के प्रति समर्थन के बाद, भारतीय पर्यटक इन देशों की यात्रा से बच रहे हैं। ट्रैवल कंपनियों जैसे EaseMyTrip, MakeMyTrip, और Cox & Kings ने इन देशों के लिए नई बुकिंग्स पर रोक लगा दी है और पहले से बुक की गई यात्राओं के लिए रिफंड की सुविधा प्रदान की है। वाणिज्यिक दृष्टिकोण से भी, भारतीय व्यापारियों ने तुर्की और अज़रबैजान से आयातित माल का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। उदयपुर के संगठनों ने तुर्की से संगमरमर की खरीदारी बंद कर दी है, जबकि पुणे में तुर्की से सेब आयात नहीं किए जा रहे हैं ।
इस स्थिति को देखते हुए, भारतीय व्यापारिक और शैक्षिक संस्थानों ने भी इन देशों के साथ अपने संबंधों की समीक्षा शुरू कर दी है। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने तुर्की से जुड़े सभी समझौतों को निलंबित कर दिया है, जबकि भारतीय फिल्म उद्योग से जुड़े लोग भी इन देशों में शूटिंग से बचने की सलाह दे रहे हैं। कुल मिलाकर, तुर्की और अज़रबैजान के प्रति भारतीयों की नकारात्मक प्रतिक्रिया और इन देशों के प्रति बहिष्कार की प्रवृत्ति, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और द्विपक्षीय संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है।