India-Pak Tension: भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संसदीय समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष हमेशा से पारंपरिक क्षेत्र में रहा है और पड़ोसी देश की ओर से कोई परमाणु संकेत नहीं दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि मिसरी ने सरकार के इस रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था, क्योंकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने संघर्ष को रोकने में अपने प्रशासन की भूमिका के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किए गए दावों पर सवाल उठाए थे।
सूत्रों ने बताया कि कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष में चीनी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया है। मिसरी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर हमला किया है। जब एक विपक्षी सांसद ने भारत और पाकिस्तान में सीजफायर में ट्रंप की ओर से किए गए सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में पूछा तो विदेश सचिव ने चुटकी लेते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसा करने के लिए उनकी इजाजत नहीं ली।
सूत्रों ने बताया कि समिति के सदस्यों ने सैन्य कार्रवाई रोकने के बाद मिसरी को ट्रोल किए जाने की भी सर्वसम्मति से निंदा की और उनके पेशेवर आचरण की प्रशंसा की। भारत के खिलाफ तुर्किए के प्रतिकूल रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि तुर्किए पारंपरिक रूप से भारत का समर्थक नहीं रहा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी की अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल सहित कई सांसदों ने भाग लिया।
यह बैठक पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारत के ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाइयों के सिलसिले में हुई। भारत और पाकिस्तान 10 मई को सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमत हुए थे।