Varanasi: वाराणसी में प्रौद्योगिकी और तकनीक आधारित शिक्षा पर जोर

Varanasi:  उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग वाराणसी के स्कूलों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दे रहा है, यह कदम नवाचार और तकनीक समावेश अभियान का हिस्सा है।

तकनीक का इस्तेमाल कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं लग रही हैं। इनके अलावा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं।

अरविंद पाठक, प्राथमिक शिक्षा अधिकारी, वाराणसी “वर्तमान में शासन ने अपनी योजनाओं के अंर्तगत अलग से प्रत्येक विद्यालय में अलग से विद्यालयों में स्मार्ट क्लॉस और आईसीटी लैब भेजे जाने का प्रावधान रखा है, जिसके क्रम में मैं आपको बता दूं कि लास्ट इयर 132 स्कूलों में स्मार्ट क्लॉस शासन की तरफ से लगवाए गए थे और इस वर्ष हमें 96 स्कूलों में आईसीटी लैब, जिसमें कहीं पर एक कंप्यूटर, कहीं पर दो कंप्यूटर और कहीं पर चार कंप्यूटर का सेट प्रिंटर के साथ लगाया जाएगा। साथ में करीब 90 स्कूलों में स्मार्ट क्लॉस की व्यवस्था की जा रही है।”

जिन स्कूलों में स्मार्ट कक्षाएं हैं, वहां बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, आकर्षक और प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा देने के लिए रोजाना एक घंटे का डिजिटल सत्र आयोजित किया जाता है।

प्रिंसिपल आभा सिंह ने बताया कि  “हमारे यहां डिजिटल क्लास लगभग सभी स्कूलों में सरकार की तरफ से प्रोवाइड हुआ है। स्मार्ट टीवी भी आ गई है। हमारे यहां खुद विद्यालय में है और उसमें हर दिन जो है विद्याशक्ति के अंर्तगत हर दिन क्लास होती है।एक घंटे की होती है जिसमें विशेषकर दो विषय पढ़ाए जाते हैं अभी, फिलहाल जिसमें विज्ञान है और उसके अलावा इंग्लिश है। तो बच्चे जो है एक घंटा जो छुट्टी के पहले होते हैं दो क्लासेज इसमें बकायदा कोओरडिनेटर रखे गए हैं, विद्याशक्ति की ओर से काट्रैक्ट बेसिस पर। और ये जो है उनके सहयोग से ये क्लासेज चलती हैं।”))

शिक्षिका का कहना है कि “बहुत ज्यादा इंपॉरटेंट रोल है कि बच्चे जो मुंह से बताते हैं, एक्सप्लेन करते हैं तो बहुत बच्चे समझ नहीं पाते। क्योंकि जैसे मैम ने बताया कि एक तरीके के बच्चे नहीं होते क्लास में। इसीलिए हम लोगों ने विद्याशक्ति जो है इसे चालू किया कि इंग्लिश चलता है इसमें और साइंस चलता है। बहुत बच्चों की इंग्लिश अच्छी नहीं होती है। इस प्रकार से वहां पर ग्रामर भी स्टार्ट हो गया है।”

अधिकारियों का मकसद एक महीने में और स्मार्ट कक्षाएं बनाना है। इससे ज्यादा संख्या में छात्रों को प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा मिलेगी।

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