Indo-Pak conflict: अमेरिकी लेखक और विदेश नीति विशेषज्ञ माइकल कुगेलमैन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष में संयुक्त राज्य अमेरिका (US) का संदेश बहुत असंगत रहा है। उन्होंने कहा, “ये सच है कि अमेरिकी संदेश बहुत असंगत रहा है। उप-राष्ट्रपति वेंस जब भारत में थे उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में कहा था कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में भारत की हरसंभव मदद करेगा, लेकिन अब वे इससे पीछे हट गए हैं और कहा है कि अमेरिका इसमें शामिल नहीं होगा।”
विशेषज्ञ ने कहा मुझे लगता है कि अमेरिकी संदेश की एक स्तर पर स्थिरता रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थिति को कम करना जारी रखेगा। माइकल कुगेलमैन ने कहा, “वेंस की टिप्पणी का मुख्य बिंदु ये है कि दिन के अंत में अमेरिका कुछ नहीं कर सकता है और मुझे लगता है कि वेंस अमेरिकी विदेश नीति पर ट्रंप प्रशासन की व्यापक स्थिति को भी दर्शा रहे थे, मतलब अमेरिका दूसरे देशों के युद्धों में घसीटा जाना नहीं चाहता है।”
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए सटीक हमलों के बाद काफी बढ़ गया। पाकिस्तान ने 9 मई रात भी जम्मू कश्मीर से गुजरात तक भारत में 26 जगहों को निशाना बनाकर ड्रोन हमलों की कोशिश की है।
माइकल कुगेलमैन ने कहा, “कोई भी देश युद्ध नहीं चाहता और न ही युद्ध बर्दाश्त कर सकता है। मुझे आश्चर्य हुआ कि इस संकट के शुरुआती कुछ दिनों में, प्रत्येक देश ने कहा कि वे तनाव कम करना चाहते हैं और वे नहीं चाहते कि हालात और खराब हों और वास्तव में बयानबाजी और संदेश लगातार धमकी भरे होते जा रहे हैं। इसलिए इस तरह के संकट के दौरान हमेशा सार्वजनिक संदेश पर ध्यान देना चाहिए और इससे सवाल उठता है कि दोनों पक्षों के बीच किस स्तर की चर्चा या संवाद, संचार हो रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि इस बिंदु तक ऐसा बहुत कम हुआ है, ये उस बिंदु पर भी बहुत चिंताजनक है जब आप तनाव बढ़ने के जोखिम पर विचार करते हैं।”