Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान से एक और हमला, सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार

Operation Sindoor: भारत-पाकिस्तान में तनाव के बीच एक और जंग चल रही है। रण भूमि में नहीं, सोशल मीडिया पर। पाकिस्तान के ऑनलाइन सिस्टम पर भारतीय जवानों को कब्जे में लेने की बेबुनियाद और पुरानी तस्वीरें डाली जा रही हैं। भारतीय अधिकारी इन्हें गलत बयानी बता रहे हैं और इनकी सच्चाई सामने ला रहे हैं।

पूर्व वायुसेना अधिकारी अनिल खोसला ने कहा कि “आधुनिक युद्ध में डिजिटल अफवाहों का काफी योगदान होता है। रूस, यूक्रेन, इजराइल, हमास और अब भारत-पाकिस्तान के ऑपरेशन सिंदूर में भी, जिसका आपने जिक्र किया। ये जंग से जुड़े अफवाह फैलाने का मुख्य स्रोत बन गया है। सोशल मीडिया पर अपनी सुविधा के मुताबिक गलत और भ्रामक सूचनाएं दी जाती हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भी यही हो रहा है। पाकिस्तान घरेलू और दुनिया भर के दर्शकों को अपनी मनमर्जी बता रहा है।”

पुराने मिलिट्री हादसों और जंग की तस्वीरें जानबूझ कर पाकिस्तान स्थित सोशल मीडिया अकाउंट में पोस्ट की जा रही हैं, जिनके जरिये वह अपनी कामयाबी का दावा कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर पाकिस्तान के बहावलपुर के पास एक राफेल जेट को मार गिराने का दावा किया गया। भारत के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के फैक्ट-चेक ने साफ कर दिया कि ये तस्वीर 2021 में पंजाब के मोगा जिले में हुए मिग-21 हादसे की है। दूसरे पोस्ट में फरवरी 2025 में ग्वालियर के पास एक प्रशिक्षण मिराज 2000 विमान हादसे का वीडियो डाला गया। बताया गया कि इसे पाकिस्तान की सेना ने मौजूदा तनाव के दौरान मार गिराया है।

अवकाश प्राप्त एयर मार्शल अनिल खोसला ने कहा कि “जैसा मैंने कहा, डिजिटल प्लेटफॉर्म ऐसी गलत सूचनाएं तेजी से डाली जा रही हैं। उनका प्रसार तेजी से होता है। जैसा आपने कहा, भारत-पाक मामले में भी यही हो रहा है। घटना रात को 1.20 बजे घटी। जब तक घंटे भर बाद आपके पास सूचना पहुंची, सोशल मीडिया तरह-तरह की सूचनाओं से भर गया था। पाकिस्तान मनोवैज्ञानिक युद्ध के लिए बदनाम है। बालाकोट के समय भी वे काफी सक्रिय थे। जैसा आप जानते हैं, उस घटना के बाद डी. आई. एस. पी. आर. अफवाहें फैलाने में काफी सक्रिय था।”

रक्षा विशेषज्ञ नितिन गोखले ने कहा कि “गलत जानकारियों से लोगों में भय छा जाता है। इससे फैसला लेने वाले भी भ्रम में पड़ जाते हैं। उन्हें सही जानकारी न हो तो वे भ्रामक खबरों के आधार पर फैसले ले सकते हैं। इसकी काट सिर्फ सावधानी बरतना और स्रोत की जानकारी लेना है। आज साधन उपलब्ध हैं, जिनसे पता लगाया जा सकता है कि सूचना का स्रोत क्या है। स्रोत भरोसेमंद है या जानबूझ कर अफवाह फैलाई जा रही है। आप गलत सूचनाएं देने वाली तस्वीरों और वीडियो की भी जांच कर सकते हैं। इससे मनोवैज्ञानिक हमला और दुष्प्रचार से बचा जा सकता है।”

अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान समर्थक सोशल मीडिया हैंडलर और यहां तक कि महत्वपूर्ण नेता जानबूझ कर गलत जानकारियां दे रहे हैं और सैन्य जीत की काल्पनिक कहानियां गढ़ रहे हैं, जो पूरी तरह गलत हैं।

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