Operation Sindoor: कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया के जरिए देश को जानकारी दी, कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार में उनके दादा और पिता दोनों ही सेना में रहे हैं। इसलिए उनके अंदर कम उम्र से ही देश की सेवा करने का जज्बा रहा है।
ताज मोहम्मद कुरैशी, कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता ब्रीफिंग के दौरान, कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 6 और 7 मई की रात को आतंकियों के टार्गेट किए गए ठिकानों के नाम और उन ठिकानों के आतंकी कनेक्शनों के बारे में बताया। कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा कि “मैं कर्नल सोफिया कुरैशी और मेरे साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह आज आपको 6 से 7 मई 2025 की रात, रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा अंजाम दिए गए ऑरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देंगे।”
सिग्नल कोर की अधिकारी सोफिया कुरैशी ने हिंदी में बात की, जबकि भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि 2017 में आयोजित एक पैनल चर्चा में कर्नल सोफिया ने सेना में जाने की अपनी यात्रा के बारे में बताया था कि उन्हें ऑलिव ग्रीन वर्दी पहनने की प्रेरणा कहां से मिली थी।
कर्नल सोफिया कुरैशी की मां हलीमा बीबी कुरैशी ने बताया कि “हमारी बेटी ने जो हमारे देश के लिए हिंदुस्तान के लिए किया है उससे हमें बहुत खुशी है और इसी तरह से आगे बढ़ना चाहिए और भी लोग अपनी बोटियों को इस तरह भेजे और पढ़ा लिखा के उनको ताकि काबिल बने तो कुछ अफसर बन सके और जो हमारे देश के लिए कुछ कर सकें। हर घर से एक बेटी और एक बेटा जाना चाहिए।”
मोहम्मद संजय कुरैशी, सोफिया कुरैशी के भाई ने कहा कि जब टीवी देखा तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ मैंने बोला अरेे ये तो मेरी बहन है और जब वो मैसेज उनका सुना जिस तरह से उन्होंने पाकिस्तानियों के हमारे इंडियन फोर्सेज ने नेस्तनाबूत किया है ऐसा लगा कि अब हिसाब पूरा हुआ है और छाती फक्र से फूल गई। ये ऐसा पल है कि फौजी जिस चीज का घमंड करता है कि भाई देश के लिए कुर्बान होने का जज्बा और ऐसा मौका मिले कि भाई देश के लिए दुश्मनों को मिटा देने का मौका मिले। इससे बड़ा कोई पल फौजी के लिए होता ही नही है।”
सोफिया एक सैन्य माहौल में ही पली-बढ़ीं, उनकी परवरिश देश सेवा के जज्बे के साथ ही हुई। कर्नल सोफिया कुरैशी की मां हलीमा बीबी कुरैशी ने बताया कि “जब वो छोटी थी तो उनकी दादी जो है कहानियां सुनाती थी हम लोग भई दादा तुम्हारे आर्मी में थे। इसमें क्या होता है कैसे क्या होता है ये सब बताते थे। जब छोटी थी तो वो दोनों बहनें लेके रिवाल्वर खेलती थी। लो ठाएं ठांए मारती मैं तो लो मर गई। और ऐसे खेलती थी फिर जब वो बड़ी हो गई। पढ़ाई लिखाई किया। करने के बाद में देखा कि लेडीज की भर्ती हो रही तो पीएचडी छोड़ने के बाद, एक साल बाकी था उसको तो छोड़कर आर्मी जाने के लिए उसने बोला हमने इजाजत दे दी।”
सोफिया ने गुजरात के वडोदरा में सयाजीराव यूनिवर्सिटी में बायोकैमिस्टि्री में बीएससी और फिर एमएससी किया, क्योंकि वो प्रोफेसर बनना चाहती थीं इस बीच, उसका चयन शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भारतीय सेना में हो गया, उस समय कारगिल युद्ध चल रहा था, यूनिवर्सिटी में उनके पूर्व क्लासमेट ने बताया कि उनके साथ बिताए समय के दौरान सोफिया कैसी थी।
कर्नल सोफिया कुरैशी के पूर्व क्लासमेट देवेश सुथार ने कहा कि “साइंस फैकलिटी में हम साथ में 1995-97 के बैच में बायोकैमिस्ट्री डिपार्टमेंट में रहे हैं और तभी उनका स्वभाव एकदम मिलनसार था। एकदम डाउन टू अर्थ थीं। तभी हमको जरा भी ऐसा महसूस नहीं कि वो आर्मी ज्वाइन करेंगी।
साल 2016 में कर्नल सोफिया ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब वे विदेश में भारतीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। वे ‘फोर्स 18’ में भाग लेने वाले 18 देशों में एकमात्र महिला कमांडर बनीं, जो आसियान प्लस देशों का एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था, महिला दिवस पर एक्स पर एक पोस्ट में रक्षा मंत्रालय ने भी कर्नल सोफिया की उपलब्धियों के बारे में बताया था।