Operation Sindoor: कर्नल सोफिया कुरैशी बनीं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जानकारी देने वाली पहली महिला अधिकारी

Operation Sindoor: विदेश सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर मीडिया को जानकारी देने वालीं कर्नल सोफिया कुरैशी ने कम उम्र में ही देश की सेवा करने की भावना को आत्मसात कर लिया था। उनके परिवार का सेना से जुड़ाव का लंबा इतिहास रहा है। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के कुछ ही घंटों बाद ‘प्रेस ब्रीफिंग’ में विदेश सचिव मिसरी के साथ दो महिला अधिकारी-विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार की ओर से शुरुआती बयान दिया।

कुरैशी और सिंह ने छह-सात मई की रात को एक बजे से डेढ़ बजे तक निशाना बनाए गए स्थानों के नाम और विवरण साझा किए। सिग्नल कोर की अधिकारी कुरैशी ने हिंदी में बात की, जबकि भारतीय वायुसेना की हेलीकॉप्टर पायलट सिंह ने अंग्रेजी में विवरण साझा किया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के लगभग दो सप्ताह बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य हमले किए गए। वर्ष 2017 में आयोजित एक सामूहिक परिचर्चा में, कुरैशी ने सशस्त्र बलों में अपने सफर के बारे में बताया कि कैसे वह सेना में जाने के लिए प्रेरित हुईं।

कुरैशी ने कहा था, ‘‘एक फौजी के बच्चे के रूप में, मैं सेना के माहौल से वाकिफ थी। मेरी मां चाहती थी कि हम दोनों बहनें सेना में शामिल हों। मैंने इसके लिए आवेदन किया और मैं इसमें शामिल हो गई। मेरे दादा भी सेना में थे, और वह कहते थे ‘यह हमारी, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम सतर्क रहें और अपने देश के लिए खड़े हों और राष्ट्र की रक्षा करें।’ यह गरिमापूर्ण और सम्मानजनक पेशा है।’’ कुरैशी ने यह भी कहा कि जब वह ‘‘(सैन्य) अकादमी में शामिल हुईं, तो करगिल युद्ध चल रहा था।’’

उन्होंने 2016 में बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना के प्रशिक्षण दल का नेतृत्व भी किया था। रक्षा मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर महिला दिवस पर एक पोस्ट में कुरैशी की तस्वीर साझा करते हुए कहा था, ‘‘2016 में फोर्स18-आसियान प्लस बहुराष्ट्रीय क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास में सेना प्रशिक्षण टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी। वह सभी आसियान प्लस टुकड़ियों में एकमात्र महिला अधिकारी टुकड़ी कमांडर थीं।’’

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