Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ जानकी नवमी मनाने के लिए उमड़ पड़े। जानकी नवमी को भगवान राम की पत्नी देवी सीता के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। उन्हें जानकी के नाम से भी जाना जाता है। रामनगरी अयोध्या में देवी सीता और भगवान राम को समर्पित मंदिर भजनों की गूंज और धूपबत्ती की सुगंध से जीवंत हो उठे। विशेष पूजा और कीर्तन ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उत्सव में एकजुट कर दिया।
श्रद्धालु जानकी नवमी के मौके पर हुए कई धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। उन्हें इस बात की खुशी है कि इस खास दिन वे अयोध्या में मौजूद हैं। मान्यता है कि राजा जनक ने एक यज्ञ के लिए खेत जोतते समय सीता को जमीन के अंदर एक संदूक में पाया था। इसीलिए, उन्हें जानकी यानी जनक की पुत्री भी कहा जाता है और उनके जन्म को दिव्य माना जाता है। ये त्योहार देवी सीता से जुड़े गुणों – भक्ति, पवित्रता, साहस और बलिदान – का उत्सव मनाता है, जो पीढ़ियों से श्रद्धालुओं को प्रेरित करता रहा है।
पंडित आचार्य विट्ठल जी ने कहा, “भगवान की जैसे पूजा होती है। उसी में सारी पूजा होती है और भव्य अभिषेक होता है, विशेष अभिषेक होता है। मां जानकी के प्राकट्य तिथि पर का मध्य काल में अर्थात दिन में 12 बजे मां वेदही के बकायदे पूजन कर के विधिवत आरती उतारी जाती है दिव्य उत्सव मनाया जाता है भोग-भंडारा इत्यादि होता है।”
जानकी मंदिर के सेवक पवन कुमार जानकारी देते हुए कहा, “आज का दिन बड़ा अद्भुत दिन है। आज किशोरी जी (सीता जी) का प्रकटउत्सव हुआ था। प्रकट हुई थीं और आज के दिन यहां कनक भवन में, जो की माता कैकेयी के द्वारा मुंह दिखाई में माता जी को मिला था। वहां पर आज जो सीतामढ़ी जानकी जी का जहां पर मायका है वहां का प्रिय भोग जो है दही चूड़ा है तो उस दही चूड़े का प्रसाद जो है बनाकर यहां वितरण किया जाता है।”