Haryana: पहाड़ियों में मंगर बानी जंगल में खुदाई में प्रागैतिहासिक काल के औजारों का जखीरा मिला

Haryana: हरियाणा के गुरुग्राम के पास अरावली पहाड़ियों में मंगर बानी जंगल में हाल में हुई खुदाई खास रही। यहां प्रागैतिहासिक काल के सैकड़ों औजार मिले हैं। ये उस चरण के हैं, जब मानव ने पत्थर के औजारों का इस्तेमाल करना शुरू किया था। खुदाई की अगुवाई पुरातत्व विभाग के पूर्व अधिकारी एस. बी. ओटा ने की। इस दौरान ऐसे औजार मिले हैं जिनका इस्तेमाल खुरचने और धार बनाने के लिए किया जाता था। ये औजार उस युग के लोगों की जिंदगी और संस्कृति के बारे में जानकारी देते हैं।

हाल-फिलहाल तक ये इलाका पुरातत्व की संभावनाओं के लिहाज से अनजान था। खुदाई के बाद ये प्रागैतिहासिक इंसानों की गतिविधि की जानकारी पाने का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। एक सप्ताह से भी कम समय की खुदाई में जंगल की पगडंडियों और खुली जगहों पर दो सौ से ज्यादा औजार पाए गए। हर रोज 30 से 80 कलाकृतियां पाई गईं। बताया गया कि कई कलाकृतियां अब भी दबी पड़ी हैं। औजारों की वास्तविक आयु विशिष्ट अध्ययन से पता चलेगा। फिर भी उनकी खोज भारतीय उपमहाद्वीप में शुरुआती इंसानी बस्तियों और औजारों को जानने-समझने में अहम योगदान दे सकती है।

एस. बी. ओटा ने कहा, “स्टोन एज कल्चर ये सबसे पुरानी सभ्यता हम लोग मानते हैं हमारे देश की। तो उसकी हम लोग एक्सपर्टाइज रखते हैं। मैं और मेरा कॉलीग निहारिका। तो हम लोग उसी का ही देखने पार्टिकुलर्ली आए थे। जब पहले एक दो दिन के बाद हम इंटेंसिवली पूरे एरिया को देखना शुरू किया पार्टिकुलर्ली ट्रेक्स क्योकि ऑलरेडी फॉरेस्ट है बहुत सारे चीज एक्सपोज नहीं हुई है। जो दबी पड़ी है। जहां-जहां पर एक्सपोज हो रहा था जो फॉरेस्ट ट्रेक्स हैं। उसमें इतना बढ़िया-बढ़िया जितना आप देख रहे हैं, इतने बढ़िया टूल्स मिले कि हम अभिभूत हो गए।”

नंदिनी भट्टाचार्य साहू ने कहा, “मंगेर बानी पूरा जो एरिया है। जो ये प्रीहिस्टोरिक एरिया है टूल्स यहां से जहां से उन्हें अभी प्राप्त हुए हैं तो वो देखकर ये समझ आया कि वो बहुत ही फ्रेश हैं। इसका मतलब है कि यहां पर ही वो बनाते थे और जैसा कहा है डॉ. एसबी ओटा ने कि फैक्ट्री साइट थी। तो ये फैक्ट्री साइट का मतलब ये है कि लोग यहां पर रहते थे सिर्फ औजार का इस्तेमाल नहीं करते थे क्येंकि रॉ मटेरियल यहां पर बहुत सारी मिलती है। तो ये पूरा क्षेत्र ही सैंडस्टोन है। तो अभी ये जगह से वो बनाते भी थे औजार सैंडस्टोन के वो टूल्स भी बनाते थे। तो ये जो वो बनाते थे ये इंपॉर्टेंट होता है। ये इसलिए इंपॉर्टेंट होता है कि ये दिखता है कि ह्यूमन सेटलमेंट ऑक्यूपेशन यहां बहुत सालों तक रहा है।”

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