Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने लोगों से बहुत ज्यादा ज्वलनशील ‘पिरूल’ (चीड़ की सूखी पत्तियां) जमा करने को कहा है, ताकि लगातार लगने वाली जंगल की आग से निपटा जा सके। इसका इस्तेमाल बायोमास के रूप में ब्रिकेट बनाने में किया जाता है। ब्रिकेट, एक तरह की ईंट है जिसे कोयला, लकड़ी के छोटे टुकड़े, चूरा या कागज जैसे बायोमास से बनाया जाता है।
पौड़ी में, ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की इस योजना के तहत 270 किलोग्राम सूखी पिरूल जमा की हैं, जिन्हें ब्रिकेट बनाने वाली इकाइयों को भेजा जाना है। कार्यक्रम शुरू होने के बाद से अब तक नैनीडांडी क्षेत्र के ग्रामीणों ने 75 क्विंटल ‘पिरूल’ जमा किया है। ये कार्यक्रम न केवल ग्रामीणों के लिए कमाई का जरिया बन रहा है, बल्कि जंगलों से सूखी पिरूल भी साफ हो रही है, जो तेजी से फैलने वाली आग की वजह बनती है।
पौड़ी के जिला मजिस्ट्रेट आशीष चौहान ने कहा, “हमारा ब्लॉक है और उनका एक सीएलएफ है उसके माध्यम से काम हो रहा है। उसको हम लोगों ने उस प्रोजेक्ट को थोड़ा स्टडी भी किया और इसी तरह के सिस्टम से सतपुली में भी क्योंकि हमारे इस पूरे इलाके में ड्राई जोन में चीड़ के पेड़ों की अधिकता के दृष्टिगत हम लोगों ने सतपुली में इसी तरह की प्रैक्टिस को किए जाने के लिए एक प्रयास हम लोग कर रहे हैं। उसकी फंडिंग लगभग 44 लाख रुपये का बजट मेरे सामने रखा गया है। इस बार उसे फंड करके मैकेनाइज्ड तरीके से पिरूल को जमा करा के जो भेजा जाना है फैसलिटी में उसकी तैयारी की जा रही है।”