Rajasthan: राजस्थान के बीकानेर में इन दिनों पुराने रेडियो की प्रदर्शनी चल रही है। ऐतिहासिक शहर की स्थापना दिवस के मौके पर प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी में रखे गए 100 से ज्यादा रेडियो दिनेश माथुर के हैं। दिनेश को बचपन से रेडियो सुनने का शौक था। उन्होंने बताया कि एक दोस्त की वजह से उन्होंने रेडियो जमा करना शुरू किया। अब उनके संग्रह में देश-विदेश से लाए अलग-अलग दौर के 1200 से ज्यादा रेडियो हैं। प्रदर्शनी में आने वाले कई लोगों ने कहा कि रेडियो देख कर वे पुराने दिनों की यादों में खो गए। उन्होंने लोगों से अपील की, कि वे अपने बच्चों को तीर्थ यात्रा समझ कर प्रदर्शनी में जरूर लाएं। सुदर्शन आर्ट गैलरी में लगी प्रदर्शनी सोमवार तक चलेगी।
दिनेश माथुर, रेडियो संग्रह करने वाला दिनेश माथुर ने कहा, “रेडियो सुनने का शुरू से ही शौक है। रेडियो को सुनने के साथ-साथ रेडियो कलेक्शन का शौक लग गया। ये कलेक्शन भी पाने के रूप में हुआ था। पाना ये कि बंदे ने आके कहा कि वो खरीद नहीं सकता रेडियो को। तो मैंने उस चैलेंज को देखते हुए जगह-जगह मैंने, जहां-जहां रेडियो मिलता था, मैं रेडियो परचेज करते-करते, इकट्ठा करते-करते, आज मेरे पास देश-विदेश के सभी तरह के मेरे पास रेडियो हैं। और हरेक कंपनियों के, आज भी जहां मिलता है, वहां मैं ले लेता हूं रेडियो को। और 1250 से भी अधिक रेडियो मेरे पास है, आज की तारीख में। मैं शौक कायम रखना चाहता हूं आगे भी।”
दर्शकों ने कहा, “रेडियो की प्रदर्शनी देख कर मेरे को ऐसा लगा कि जिस जमाने में मैं रेडियो देखता था, आज उसी जमाने के पुराने रेडियो देखने को मिल रहा है। मैं तो ऐसा फील कर रहा हूं कि ये जो प्रदर्शनी है, जिन्होंने ये भरसक प्रयत्न किया है, कितने वर्षों तक संजो के रखा है, इतने सारे रेडियो को। तो ये नए बच्चों के लिए तीर्थ स्थान जैसे कम नहीं है, मतलब। उनके लिए तीर्थ स्थान है। बच्चों को आना चाहिए। बच्चों के अभिभावकों को भी ये रेडियो दिखाना चाहिए कि जो मनोविकास की श्रृंखला के अंदर रेडियो का कितना बड़ा योगदान था।”
“मैं यहां देख करके हैरान हो गया कि कितने पुराने मेरे दौर के और पुराने जमाने के रेडियो रखे हुए हैं, जो बहुत ही हमारी पुरानी यादें और पुराने धरोहर के रूप में हमको दिखाती है यहां की प्रदर्शनी। हमको देख करके बड़ा ही अच्छा लगा कि इतने पुराने जमाने के एंटीक पीस के रेडियो यहां मौजूद हैं, जो याद दिलाते हैं भारत की विरासत को और भारतीयों के उस जमाने की पसंद को। तो अति सुंदर हमको लगा यहां पर देख करके।”