Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के बाद, मोदी सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है। पीएम मोदी सऊदी अरब का दौरा रद्द कर वापस दिल्ली लौटे और सीसीएस की अहम बैठक की। इस बैठक में सरकार ने आतंकवाद पर चोट देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले किए हैं। सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता (indus water agreement) को रोक दिया है। इसके अलावा भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर उन्हें भारत छोड़ने का आदेश दिया है।
भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ ही, भारत ने पाकिस्तान के उच्चायोग के सभी सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को ‘persona non grata’ घोषित कर दिया है और पाकिस्तान से अपने रक्षा सलाहकार को recalled कर लिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान के उच्चायोग के पूरे स्टाफ को 7 दिनों के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। भारत ने पाकिस्तान में अपने राजनयिक स्टाफ की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी है, जो 1 मई तक लागू होगी।
भारत के पाकिस्तान के खिलाफ पांच प्रमुख फैसले सीसीएस की इस बैठक में 5 बड़े फैसले हुए, इन फैसलों से आतंकवाद के साथ पाकिस्तानी राजनीति पर चोट लगना तय है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए, सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने ये पांच फैसले लिए हैं
1. द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों में कमी (Diplomatic Isolation)
भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है। इसमें पाकिस्तान के सभी सैन्य सलाहकारों को ‘persona non grata’ घोषित कर दिया गया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही, भारत ने पाकिस्तान के उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या में 50% की कमी की है। भारत ने पाकिस्तान में अपने राजनयिक स्टाफ की संख्या 55 से घटाकर 30 कर दी है, जो 1 मई तक लागू होगी। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को और नुकसान पहुंचेगा और कई अन्य देश भी इसी राह पर चल सकते हैं। पाकिस्तान की वैश्विक कूटनीतिक स्वीकार्यता में गिरावट हगी और संयुक्त राष्ट्र व अन्य मंचों पर भारत का पाकिस्तान के खिलाफ अभियान मजबूत होगा।
2. इंडस जल समझौते की निलंबन (Suspension of Indus Water Agreement)
भारत ने 1960 में हुए इंडस जल समझौते को निलंबित कर दिया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच जल वितरण के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचा था। भारत ने इस कदम को पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ एक निर्णायक कदम के रूप में देखा है। इस फैसले से पाकिस्तान को झेलना पड़ेगा सिंचाई संकट और खाद्य उत्पादन में गिरावट, पानी की राजनीति को लेकर घरेलू असंतोष भी बढ़ सकता है।
3. पाकिस्तान के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध (Travel ban against Pakistan)
भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। इसके तहत, पाकिस्तान के नागरिकों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह कदम पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ एक कड़ा संदेश भेजने के लिए उठाया गया है। अगर भारत व्यापार और वीजा प्रतिबंध बढ़ाता है तो पाकिस्तान की पहले से चरमराती अर्थव्यवस्था पर और दबाव आएगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा और कम हो सकता है। विदेशी निवेश घटेगा, रुपया और महंगाई पर असर होगा।
4. पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चेतावनी (Warning of military action against Pakistan)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक सैन्य कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब मिलेगा और भारत ऐसे आतंकी कृत्यों से नहीं डरेगा। भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की चेतावनी से पाकिस्तान को अपनी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी, जिससे उसका रक्षा खर्च और आंतरिक तनाव दोनों बढ़ सकते हैं। बॉर्डर पर तनाव, LOC पर घुसपैठ की संभावनाएं कम होंगी और पाकिस्तान की सेना पर अतिरिक्त दबाव रहेगा।
5. पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में कड़ा रुख (UN’s Tough Stand on Pakistan)
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अगर पाकिस्तान की सरकार भारत के इन कदमों का जवाब नहीं दे पाई, तो उसे आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। विपक्ष सरकार की आलोचना करेगा और जनता में अविश्वास और असंतोष रहेगा।
इन फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त कदम उठा रहा है और द्विपक्षीय संबंधों में एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग करने और आंतरिक दबाव में लाने की रणनीति है। आने वाले हफ्तों में इसका असर न केवल राजनयिक स्तर पर बल्कि पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर भी दिखने लगेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया- “सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है। इसके साथ ही सभी फोर्स (सेनाओं) को हाई लेवल पर सतर्कता बनाए रखने को कहा गया है। CCS ने संकल्प लिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा। तहव्वुर राणा के हाल के प्रत्यर्पण की तरह भारत उनको लोगों की लगातार तलाश जारी रखेगा जिन्होंने आतंकी कृत्यों को अंजाम दिया है या इन्हें संभव करने की साजिश की है।”