Roorkee: बेलड़ा गांव की महिलाएं बनीं स्वच्छता और सशक्तिकरण की मिसाल

Roorkee: उत्तराखंड के रुड़की जिले का बेलड़ा गांव स्वयं सहायता समूह की चार महिलाओं की बदौलत साफ दिखने लगा है। चार साल पहले शुरू हुई इस पहल को शुरू में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन समूह ने हार नहीं मानी। गांव के हर परिवार से सिर्फ 30 रुपये लेकर ये महिलाएं न सिर्फ कचरा इकट्ठा करने और उसके निपटान से जुड़े खर्चों को पूरा करती हैं, बल्कि अपने लिए भी कुछ आमदनी जुटाती हैं। बेलड़ा गांव अब मिसाल बन चुका है कि कैसे वास्तविक बदलाव जमीनी स्तर से शुरू हो सकता है। गांव की महिलाओं ने दिखा दिया है समाज में बदलाव लाने के लिए बुलंद इरादों और संयम की जरूरत होती है।

कार्यकर्ता कविता ने कहा, “हमारा उद्देश्य है गांव को स्वच्छ बनाना, बीमारी से बचाना और प्रत्येक घर का इधर-उधर गंदगी ना फैले, एक अच्छी जगह चुनके वहां इकट्ठा किया जा रहा है कूड़ा और इस कूड़े को गांव के जो प्रधानमंत्री हैं वे बाहर को कहीं पहुंचाते, जहां भी पहुंचा रहे होंगे, गांव में बहुत अच्छा सुधार हो रहा है कि बढ़िया, जिधर भी जाते हैं, उधर सफाई-सफाई रहती है और गांव के जो आदमी हैं उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है कि गांव में हमारे बीमारी नहीं कोई आ रही, मच्छर कम हो रहे।”

कार्यकर्ता गीता ने कहा, “आठ सौ लोगों के नाम लिखकर लाए थे और पूरे गांव से हम सात सौ लोगों से पैसा इकट्ठा कर पाए 21 हजार रुपये और ऐसे ही हम बढ़ते गए, चलते गए, आज की इनकम, आज की तारीख में हमारे 1700 से1800 परिवार हैं जिनसे हमारे कूड़ा प्राप्त होता है और जो हमें गांव से बाहर कूड़ा डालते हैं वो हमें ग्राम पंचायत द्वारा जमीन मिली हुई है वहां कूड़े को डालते हैं और प्रधान जी द्वारा उस कूड़े का निस्तारण किया जाता है, आज के टाइम में हमारे पास 50 से 55 हजार रुपये इकट्ठा हो जाता है जो ट्रैक्टर, ट्रॉली, ड्राइवर, मजदूर का खर्चा निकालते हैं।”

कार्यकर्ता शबाना के कहना था, “शुरू-शुरू में तो हमको बहुत कठिनाई हुई। कुछ महिलाओं ने तो हमें कूड़ा देने से साफ-साफ मना कर दिया। फिर भी हम महिलाएं हिम्मत नहीं हारी, हम घर-घर गए और महिलाओं को जागरूक किया। जब गांव में ट्रैक्टर आया, सबने कूड़ा डाला तो उनको देखके बाकी महिलाओं को भी अच्छा लगा कि कूड़ा डल रहा है। गांव से सफाई हो रही है तो सबको कूड़ा डालना चाहिए। आज की डेट में 50 से 55 हजार हमारी इनकम होती है जिससे ट्रैक्टर, ड्राइवर और तेल का खर्च निकालके हमें चारों को पांच-पांच हजार रुपए मिलते हैं।

One thought on “Roorkee: बेलड़ा गांव की महिलाएं बनीं स्वच्छता और सशक्तिकरण की मिसाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *