Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है। रामबन जिले में रविवार सुबह बारिश के बाद बादल फटने से तीन लोगों की मौत हो गई। लगातार हो रही मूसालाधार बारिश ने जन जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जिले के कई हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है, जिससे आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के साथ हो रहे भूस्खलन ने हालात और भी बदतर कर दिए हैं।
इस आपदा में फंसे 100 से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है। एहतियात के तौर पर इलाके के सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-44) को दोबारा चालू करने की कोशिशों में जुटा है। ये राजमार्ग कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र ऑल-वेदर रास्ता है। अधिकारियों के मुताबिक, नाशरी से बनिहाल के बीच करीब दर्जन भर जगहों पर पहाड़ों से गिरे मलबे के कारण 250 किलोमीटर लंबे इस रास्ते पर यातायात रोक दिया गया है। सैकड़ों वाहन फंसे हुए हैं।
अचानक आई बाढ़ में सड़कें बह जाने के कारण कई गांव जिला मुख्यालय से कट गए। वही सेरी बागना गांव में बादल फटने से तीन लोगों की मौत हो गई। भूस्खलन और मिट्टी के धंसने से कई इलाकों में पत्थर और कीचड़ जमा हो गया। अधिकारियों ने बताया कि धरम कुंड गांव में अचानक आई बाढ़ के कारण करीब 40 रिहायशी घर क्षतिग्रस्त हो गए। 10 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि बाकी घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही बारिश के बावजूद मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने 100 से ज्यादा फंसे हुए ग्रामीणों को बचाया।
ग्रामीणों को सरकारी मिडिल स्कूल में आश्रय दिया गया है और प्रशासन उन्हें राशन समेत जरूरी सहायता मुहैया करा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि उफनती नदी के कारण आई बाढ़ में कई वाहन बह गए। जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त किया और कहा कि प्रभावित परिवारों को हर मुमकिन सहायता दी जा रही है। एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस, एसडीआरएफ, नागरिक स्वयंसेवकों, सेना और दूसरे हितधारक विभागों और एजेंसियों की टीमें, स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के स्वयंसेवक प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और बहाली कार्यों में सक्रिय रूप से लगे हुए है।