Rajasthan: राजस्थान में जयपुर के ‘पांडेय मूर्ति भंडार’ के कारीगर अयोध्या में राम मंदिर के लिए मूर्तियां तैयार करने में जुटे हैं। कार्यशाला में पिछले साल राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की मूर्ति भी बनाई गई थी। भले ही उनकी बनाई रामलला की मूर्ति को मंदिर में स्थापना के लिए नहीं चुना गया लेकिन दूसरी मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया। पांडे मूर्ति भंडार इस बार अयोध्या के राम मंदिर के राम दरबार के लिए मूर्तियां बना रहा है, जिन्हें मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित किया जाएगा।
पांडे परिवार का कहना है कि राम मंदिर अधिकारियों के साथ काफी विचार-विमर्श और शास्त्रों के मुताबिक ही मूर्तियों को सावधानी के साथ और पूरे भक्ति-भाव से तैयार किया जा रहा है। मूर्तियों का अनावरण प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान ही किया जाएगा। मान्यताओं के मुताबिक इससे पहले किसी भी मूर्ति के दर्शन करना अशुभ होता है। राम दरबार की मूर्तियों को वक्त पर तैयार करने के लिए 20 कारीगरों की एक टीम दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है।
सफेद संगमरमर से बनी इन मूर्तियों को अगले महीने तीन दिन के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान मंदिर की पहली मंजिल पर स्थापित किया जाएगा। ये कार्यक्रम 2020 में शुरू हुए मंदिर के निर्माण के पूरा होने का भी प्रतीक होगा। श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक राम मंदिर की पहली मंजिल को इस साल जून में ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाएगा।
पांडे मूर्ति भंडार के मालिक प्रशांत पांडे ने कहा, “वहां प्रथम तल पर राम दरबार जी होंगे, जिसमें राम जी, सीता जी, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, हनुमान जी ये सब होंगे राम दरबार में और परकोटी (सीमा की दीवार) की मूर्तियां होंगी जिसमें – आपके सूर्य भगवान, दुर्गा मां, गणेश जी, हनुमान जी, अन्नपूर्णा न्याय की ये सब दृश्य होंगे। पिछली बार भी हम सेवा में थे राम जी की और अभी भी सेवा में हैं। पिछली बार हमने राम लला की मूर्ति के साथ 11 मूर्तियां वहां पर पहले बनाई थीं, जो ऑलरेडी वहां पर लग चुकी हैं। अब हम लोग तकरीबन 19 मूर्ति का निर्माण और कर रहे हैं। जिसमें विशेष ‘राम दरबार’ की मूर्तियां हैं। तो पूरा दरबार आकर लगेगा उसमें। ये प्रथम, फर्स्ट फ्लोर में लगेंगी प्रथम तल में जो अब रेडी हो चुका है और हमने ऑलमोस्ट सिक्स मूर्तियां इस समय भेज चुके हैं सप्त ऋषि की। इसके अलावा टोटल 19 हैं तो उसके अंदर मूर्ति अब और भी जाएंगी।”
“पूरा डिस्कशन हुआ मूर्ति कैसी होनी चाहिए, किस तरह होनी चाहिेए, कैसा उनका भाव होना चाहिए, क्या उनका आकार होना चाहिए। वो सब चीजें डिस्कशन करा है और अपने शास्त्रों में लिखा हुआ है, सब कुछ तो उसके हिसाब से पढ़-लिखकर हमने डिस्कस किया है। फिर हमने कार्य स्टार्ट किया और सबसे पहले पत्थर का विश्लेषण किया, उसका टेस्टिंग हुआ उसके बाद में हमने अपना कार्य स्टार्ट किया और फिर नौ महीने में आज हम इस स्थिति में हैं कि पूरा मूर्ति का कार्य कंप्लीट है और अब हम जा रहे मूर्तियों को लेकर।”
“ये देखिए क्या होता है, चिष्ठा से पूर्व कोई भी मूर्ति को देखना उचित नहीं है। ये जो उनकी दिव्यता होती है, हम लोग करते हैं बनाते हैं तो हमको भी बहुत नियम पालन करने होते हैं। अब ये कॉन्सेप्ट जब कंप्लीट होता है जब लगता है, तभी इसका आनंद आता है क्योंकि चिष्ठा चक्षु जब होते हैं। तो ही उसका फल रुपी सबको मिलता है। लीक होना सब चीज होना ये छोटी चीजें हैं इनके लिए क्योंकि हम हिन्दू धर्म में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ये सब करते हैं तो ज्यादा अच्छा रहता है।”