Chalisa Guru: दशरथ मसानिया को लोग ‘चालीसा गुरु’ के नाम से जानते हैं, मसानिया एक शिक्षक हैं और मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के बड़ोद ब्लॉक में पढ़ाते हैं। हालांकि उनका पढ़ाने का तरीका दूसरे शिक्षकों से अलग है, वह खुद की लिखी चालीसाओं के जरिए बच्चों को हर पाठ की तैयारी कराते हैं। बेहतरीन लय के साथ मसानिया के पढ़ाने के इस तरीके से छात्रों के लिए पाठों को याद करना आसान हो जाता है।
चालीसा भक्ति से जुड़े भजन हैं जो आम तौर पर चालीस छंदों से बने होते हैं। ‘चालीसा’ शब्द हिंदी के ‘चालीस’ शब्द से लिया गया है, चालीसा का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण हनुमान चालीसा है। शिक्षक दशरथ मसानिया ने बताया कि “चालीसा लिखने के पीछे मेरी सोच ये थी कि हनुमान चालीसा का हम बचपन से अध्ययन करते रहे हैं और दुनिया में सार्वधिक गाया जाने वाला है चालीसा, हनुमान चालीसा उससे मैंने एक बात सीखी ये मंत्र की भाती तो काम करता ही है। तो क्यों ना शिक्षा के क्षेत्र में हम इन चालीसा की विधी से लिख कर के बच्चों तक ज्ञान पहुंचा सकें। इससे ले जाने में मैं बहुत सफल रहा। सबसे पहले जब मैंने अंग्रेजी चालीसा लिखा तो कई अखबारों में कई पत्र-पत्रिकाओं में मुझे बहुत प्रोत्साहित किया।”
“लगातार चालीसा पढ़ाने से मुझे सबसे अच्छा ये लगा कि जो बच्चा पीछे तक का नहीं बोलता था, वो बोलना सीख गया। चालीसा पढ़ाने से मिसई की संशिप्ता के साथ-साथ गायन कला में द्रविड़ होना यह बच्चे के शिक्षा के विकास में बहुत सहायक रहा है।”
मसानिया ने 500 से ज्यादा चालीसा लिखी हैं। इनमें महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि से लेकर रामायण और हनुमान चालीसा की रचना करने वाले संत कवि तुलसीदास पर भी चालीसा शामिल हैं। कभी हाथों से इशारे करते हुए तो कभी गाकर पढ़ाने के अपने खास तरीके के बारे में चालीसा गुरु का कहना है कि बच्चों को भी इसमें काफी मजा आता है और वे जल्दी सीख कर रहे हैं।
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर शायद इस बात से अनजान होंगे कि दशरथ मसानिया ने उन पर भी एक चालीसा लिखी है। अपने इस अनूठे काम के लिए मसानिया को कई पुरस्कार भी मिले हैं। उनकी कोशिश अब उन विषयों पर चालीसा लिखने की है जिनकी ओर उन्होंने अब तक रुख नहीं किया है।