Delhi: रियल एस्टेट की नजर छोटे शहरों और धार्मिक केंद्रों पर

Delhi: प्रमुख वाणिज्यिक रियल एस्टेट कंपनियां मॉल विकास के लिए तेजी से छोटे शहरों और धार्मिक केंद्रों की ओर रुख कर रही हैं। ये भारत की खुदरा तस्वीर में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। बड़े मॉल ब्रांडों द्वारा उठाए गए इस रणनैतिक कदम के पीछे बड़ी वजह तीर्थ स्थलों का रुख कर रहे जनरेशन ज़ी श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या है। रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म मैपिक इंडिया के मुताबिक, धार्मिक नगर मॉल विकास के लिए हॉटस्पॉट के रूप में उभर रहे हैं। उसके मुताबिक 2030 तक इसमें काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

ये विस्तार बढ़ते शहरीकरण, विकसित होती उपभोक्ता प्राथमिकताओं और छोटे शहरों में लोगों की खर्च करने की बढ़ती क्षमता से प्रेरित है। टियर-वन शहरों में बढ़ती रियल एस्टेट लागत और घटती ग्राहक संख्या की वजह से डेवलपरों को अपनी विस्तार रणनीतियों पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके उलट, मध्यम आकार के शहरों में लोग तेजी से शॉपिंग मॉल का रुख कर रहे हैं। इस वजह से ये जगह खुदरा निवेश के लिए बेहतरीन केंद्र बन रहे हैं।

बढ़ती उपभोक्ता मांग, उपलब्ध जमीन और सीमित गुणवत्ता वाले खुदरा विकल्पों के साथ, मध्यम आकार के शहर और धार्मिक केंद्र वाणिज्यिक अचल संपत्ति के लिए खास मौके के तौर पर उभर रहे हैं। आशना जेमिनी शरण ने कहा, “बड़ी कंपनियां बनारस, इलाहाबाद जैसी जगहों पर मॉल खोल रहे हैं, क्योंकि इलाहाबाद में कुंभ हुआ था, वहां बड़ी भीड़ थी, इसलिए इन जगहों पर बहुत विकास हो रहा है और जो भीड़ इन जगहों पर जाती है, वे धार्मिक पहलुओं के अलावा दूसरे मौकों की भी तलाश करते हैं। इसलिए ये सभी बड़े ब्रांड हैं जो विस्तार की तलाश में हैं, इसलिए 2030 तक मॉल विकास की बड़ी योजनाएं हैं।”

समीर मंगलानी ने कहा, “आगे बढ़ने के मौके मुख्य रूप से टियर टू में है। टियर वन निश्चित रूप से जगह की कमी के कारण है। ये पहले से ही संगठित और पहले से ही आबाद है। टियर टू शहर वे हैं जहां खास तौर से विकास हो रहा है। हर कोई खुलकर खर्च कर सकता है।”

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