Ayodhya: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा एक ऐतिहासिक पहल के तहत अयोध्या स्थित राम मंदिर परिसर में संत तुलसीदास जी की भव्य प्रतिमा का वैदिक रीति-रिवाजों के साथ लोकार्पण किया गया। इस शुभ अवसर पर मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित कई अन्य अधिकारी और श्रद्धालु उपस्थित रहे। चंपत राय ने जानकारी दी कि, “यात्री सुविधा केंद्र का प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में है और ठीक उसी प्रांगण में संत तुलसीदास जी की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया है। जो भी श्रद्धालु वर्ष भर में राम जन्मभूमि के दर्शन हेतु आएगा, वह सबसे पहले संत तुलसीदास जी के दर्शन करेगा।”
आज वैशाख कृष्ण द्वितीया विक्रम संवत 2082, 15 अप्रैल 2025 मंगलवार को श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में यात्री सुविधा केंद्र के पूर्व दिशा के प्रवेश द्वार के निकट प्रांगण में स्थापित की गई संत तुलसीदास जी की प्रतिमा का विधिवत पूजन करने के पश्चात लोकार्पण किया गया। जितने भी भक्तजन… pic.twitter.com/zB9R6ZeRd8
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) April 15, 2025
इस प्रतिमा को महाराष्ट्र केजाने-माने कलाकार वासुदेव कामथ ने तराशा है और इसे राजस्थान के मकराना संगमरमर से तैयार किया गया है। मूर्ति की कलात्मकता और आध्यात्मिक ऊर्जा, दोनों ही श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं। संत तुलसीदास हिंदी साहित्य के महानतम कवियों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने रामचरितमानस की रचना की, संस्कृत में लिखी गई वाल्मिकी रामायण का एक लोकप्रिय अवधी भाषा में पुनर्कथन (retelling) है। तुलसीदास ने भगवान राम के जीवन, संघर्ष और मर्यादा को जन-जन तक पहुँचाया और उनकी भक्ति को लोकभाषा में समर्पित कर अमर कर दिया।
रामचरितमानस आज भी उत्तर भारत के घर-घर में पढ़ी जाती है और इसे राम की भक्ति पर आधारित सांस्कृतिक परंपराओं की रीढ़ माना जाता है। ऐसे में अयोध्या में राम मंदिर परिसर में तुलसीदास जी की प्रतिमा का स्थापित होना न केवल श्रद्धालुओं के लिए भावनात्मक अनुभव है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी और सुरक्षित करता है। राम मंदिर दर्शन के साथ-साथ अब श्रद्धालु तुलसीदास जी की भव्य मूर्ति के भी दर्शन कर सकेंगे। यह स्थान भक्तों के लिए एक और आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र बनता जा रहा है, जहां राम और उनके सबसे बड़े भक्त तुलसीदास की एक साथ उपस्थिति से आस्था को एक नई ऊँचाई मिल रही है।