AI Chat: निजी और पेशेवर कामों के लिए एआई उपकरणों की मदद लेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चिंता की वजह हो या काम की चुनौतियां- लोग हर काम के लिए एआई चैट बोट का सहारा लेने लगे हैं। एआई टूल ऐसे साधन बन गए हैं, जहां लोग अपनी भावनाएं व्यक्त कर सकते हैं, बिना गहन सोच-विचार के नतीजे पर पहुंच सकते हैं और बिना किसी व्यवधान के आराम फरमा सकते हैं।
इस दौर में रोगों का इलाज महंगा है। व्यस्त दोस्तों से मुलाकात मुश्किल है, लेकिन रोने को जी चाहे, तो एआई का कंधा मौजूद है, कई लोगों को संदेह है कि क्या एआई में गहन समस्याओं का हल चुटकियों में निकालने में सक्षम है.
सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ. विशाल छाबड़ा ने कहा कि “एआई आधुनिक है, फिर भी इंसानों की जरूरतों के मुताबिक पूरी तरह सही नहीं है। खास कर जब बॉडी लैंग्वेज की बात होती है। जैसे इस वक्त मैं आपसे बातें कर रहा हूं। बातें करते हुए सिर हिला रहा हूं। अगर मैं बिना मुंह खोले या शारीरिक रूप से हिले-डुले बात करूं तो आप बोर हो जाएंगे। आप मेरे साथ जुड़ नहीं पाएंगे। इंसान जब एक-दूसरे से बातें करते हैं तो आवाज का टोन, चेहरे की भाव-भंगिमा, आंखों और हाथों की अभिव्यक्तियां काफी मायने रखती हैं। शोध के मुताबिक इनकी हिस्सेदारी 70% से 80% तक होती है, जबकि बोलने की हिस्सेदारी महज 20% होती है। चूंकि लोग व्यस्त हैं, इसलिए एआई के सामने अपनी भावनाएं रखना अच्छा लगता है। लेकिन वास्तविक जीवन में इंसानी संबंध काफी मायने रखते हैं।”
बेशक एआई चैटबॉट कई मामलों में मददगार हैं, लेकिन जानकार चेतावनी देते हैं कि एआई में मानवीय संवेदनाओं और भावनात्मक इलाज करने का अभाव है। ये लंबे समय के भावनात्मक सेहत के लिए जरूरी हैं। उनका कहना है कि एआई पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने से अकेलेपन और दिमागी देखभाल में अभाव जैसी प्रवृत्तियां हावी हो सकती हैं।
तंत्रिका विज्ञानी डॉ. मोहित शर्मा ने कहा कि “एडवाइस देने के बाद कोई इंसान उसपर फॉलो करने वाला है, अगर वो एडवाइस किसी तरीके की रिस्की एडवाइस हो गई, फॉर एग्जाम्पल कई बार केसेज में लोगों को सुसाइडल थॉट्स आ रहे होते हैं, लोगों को अपनी लाइफ बहुत ज्यादा मिजरेबल लग रही होती है, बहुत ज्यादा ट्रबलसम लग रही होती है, अगर उसमें किसी भी तरीके से अगर सामने वाले को ये हिंट भी चला गया, नहीं आपको ये कर भी लोगे तो कोई बात नहीं। देयर इज नथिंग डिफरेंस। या फिर आपने इस तरीके का, स्टेप उठा लो। और अगर उस पर्सन ने उस एडवाइस पर चलते हुए उस स्टेप को उठा लिया, तो वी कैन लॉस अ पर्सन, वी कैन लॉस देट लाइफ।”
इस दौर में भावनात्मक रिश्ते धूमिल पड़ रहे हैं। ऐसे में अक्सर एआई चैटबोट से भावनात्मक समाधान मिलता महसूस होता है। जानकार कहते हैं कि बेशक एआई इंसानों के लिए गहन उपचार की सुविधा नहीं देता, फिर भी ये कई दरारों को पाट देता है। मसलन बिना दूसरों के दखल दिये फैसले लेना और जब चाहें, तब उपलब्ध होना, हालांकि जरूरत से ज्यादा एआई के इस्तेमाल के नुकसानदेह होने के भी आसार हैं।