Maharashtra: जैसे-जैसे गर्मी अपने चरम पर पहुंच रही है, वैसे-वैसे इंसानों के साथ-साथ जानवरों की भी हालत बिगड़ती जा रही है। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त जालना ज़िले में पारा 40 डिग्री के करीब पहुँच चुका है, और हालात बेहद चिंताजनक हो चले हैं। यहाँ के किसान अपने मवेशियों को भीषण गर्मी से बचाने के लिए जुगाड़ू तरीके अपना रहे हैं — जानवरों की पीठ पर जूट की बोरी डालकर उसे पानी से भिगोना, ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। लेकिन यह राहत सिर्फ अस्थाई है। ज़मीनी हकीकत कहीं ज़्यादा डरावनी है।
किसान गणेश “हमारे गांव में पानी की भारी कमी है। पशुओं का जीना मुश्किल हो गया है। हमारे पशुओं के लिए चारा और पानी नहीं है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि हमारे पशुओं के लिए चारा और पानी की व्यवस्था की जाए ताकि वे जीवित रह सकें। मैं एक किसान के तौर पर अनुरोध करता हूं कि प्रशासन जल्द से जल्द चारा बांटना शुरू करे। हरी घास खरीदकर देते हैं, अभी यहां तो पानी पीने के लिए नहीं है तो चारा कहां मिलेगा हरा।”
एक किसान का कहना है कि उनके पास पांच से छह भैंसें हैं जो रोज़ दूध देती हैं, पर डे रोज का खर्चा 1000 रुपए चारे का आता है। और उनकी गवर्मेंट से ये मांग है कि, चारा सामने चालू हो साथ ही पानी की व्यवस्था भी हो। यहां के किसानों का कहना है कि पानी के स्रोत सूख चुके हैं जबकि मानसून का सीजन आने में अभी काफी वक्त है। परेशान किसान स्थानीय प्रशासन से पशुओं के लिए चारा और पानी का इंतजाम कराने की अपील कर रहे हैं।
गर्मी का यह कहर केवल तापमान का मामला नहीं रह गया है, यह अब एक गंभीर मानवीय और पशु कल्याण संकट बन चुका है। यदि समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया, तो ज़मीनी स्तर पर बड़ी क्षति होना तय है।