Prayagraj: पुलिस ने महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिए खोल दिया है क्रेच

Prayagraj: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पुलिस ने अपनी महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिए एक क्रेच यानी शिशुग्रह खोल दिया है। इस शिशुगृह में खाना समेत बच्चों की सभी जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस क्रेच के खुलने से अब महिला पुलिस कर्मियों को ड्यूटी के दौरान अपने छोटे बच्चों को कहां छोड़कर जाएं, इसकी चिंता नहीं करनी पड़ रही है।

इस सुविधा में खेलने के लिए खिलौने और बच्चों को पढ़ाने में देखभाल करने वालों की सहायता के लिए अध्ययन सामग्री भी शामिल है। बच्चों की देखभाल के लिए शिशुग्रह में नियमित रूप से दो महिला कांस्टेबल भी तैनात हैं। प्रयागराज में महिला पुलिसकर्मियों के लिए ये सुविधा एक वरदान साबित हो रही है। अब वे अपने बच्चों को शिशुग्रह में छोड़कर पूरी शिद्दत से ड्यूटी कर रही हैं।

केयरटेकर प्रियंका यादव ने कहा, “यहां पे बच्चों की देखरेख की जाती है। जैसे जो भी महिला कॉन्स्टेबल ड्यूटी करती हैं, अपने बच्चे को यहां छोड़ के चली जाती हैं। तो यहां पे हम लोग देखरेख करते हैं, और फिर ड्यूटी खत्म होती है तो आके, लेके चली जाती हैं अपने बच्चों को। यहां पे उन लोगों को खिलाया जाता है। पढ़ाया जाता है। सिखाया जाता है, जो भी बच्चा है- ऐसे करना है। ऐसे बैठना है। ये सब बताया जाता है।

पुलिस कॉन्सटेबल प्रतिमा यादव ने कहा, “यहां पर प्रयागराज पुलिस लाइन में क्रेच सेंटर खुला हुआ है। और यहां पर हम महिला पुलिस कर्मियों के बच्चे, जो छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनको यहां रखा जाता है और उनकी देखरेख बहुत अच्छे से होती है। जैसे बच्चों को लेके ड्यूटी करने में बहुत समस्याएं होती हैं। इसलिए खोल दिया गया है। यहां पे अपने बच्चों को छोड़ देते हैं। यहां बहुत आराम है। एसी लगा हुआ है। सारी सुविधाएं हैं। खिलौने वगैरह सब कुछ है। थोड़ा-बहुत बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए भी बताया जाता है

हेड कॉन्सटेबल रीना शर्मा का कहना था की, “मेरी भी बच्ची यहां पर आती है। पूरे दिन खेलती रहती है। जिसकी वजह से हम लोग आराम से ड्यूटी कर पा रहे हैं। यहां पर बच्चों का मानसिक संतुलन भी सही रहता है। मोबाइल और टीवी से भी दूर रहते हैं। विकास भी हो रहा है माइंड का उनके। सारे बच्चे मिल के आपस में बहुत अच्छे से खेलते भी रहते हैं। यही सबसे बड़ी बात है। समस्या ये होती थी कि छोटे-छोटे बच्चों को लेके धूप में या कहीं भी फील्ड वर्क में ड्यूटी करो तो बच्चों के ऊपर भी इफेक्ट पड़ता था, हम लोग भी परेशान हो जाते थे। अब जब से ये खुल गया है, यहां पर आके हम लोग बच्चों को छोड़ देते हैं और आराम से ड्यूटी करते हैं।”

केयरटेकर सुलेखा ने कहा, “घर में कोई रहता नहीं था। अक्सर बच्चे बगल में, पड़ोस में छोड़ के आती थी। फिर लेके जाती थी ड्यूटी पे। इन सब समस्याओं को देखते हुए इस सेंटर में अपने बच्चे छोड़ सकती हैं, जिनकी देखरेख मैं करती हूं। बच्चे भी यहां पे बहुत सुरक्षित रहते हैं, खेलते हैं और आराम से खेलते रहते हैं। जब उनकी मां आती हैं ड्यूटी से, ले जाती हैं बच्चे को। पढ़ाई-लिखाई के लिए भी सुविधाएं हैं। पढ़ भी सकते हैं। थोड़ा-बहुत हम लोग पढ़ाते भी हैं बच्चों को।”

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