New York: अमेरिका विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि 26/11 के आतंकवादी हमलों ने पूरे विश्व को झकझोर दिया था और अमेरिका ने इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन किया है।
अमेरिका ने यह बात पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को मुंबई नरसंहार में उसकी संलिप्तता के लिए न्याय का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद कही।अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने गुरुवार को कहा कि नौ अप्रैल को अमेरिका ने 64 वर्षीय राणा को भारत प्रत्यर्पित किया था, ताकि उसे “2008 के भयावह मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में उसकी भूमिका के लिए न्याय का सामना करना पड़े।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के दायरे में लाने के भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन किया है, उन्होंने कहा कि राणा भारत के कब्जे में है और हमें इस गतिशीलता पर बहुत गर्व है।
ब्रूस ने कहा कि कुछ लोगों को शायद वह हमला याद नहीं होगा, जिसमें छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की दुखद मौत हो गई थी और जिसने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया था। उन्होंने कहा, “मैं आपको प्रोत्साहित करती हूं कि आप इन्हें देखें और पता लगाएं कि आज की स्थिति के लिहाज से यह कितना भयावह था।”
इससे पहले, अमेरिकी न्याय विभाग के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि राणा का प्रत्यर्पण जघन्य हमलों के पीड़ितों के लिए “न्याय पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम” है।
अमेरिकी विदेश विभाग प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि “नौ अप्रैल को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 64 वर्षीय राणा को 2008 के भयावह मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में उसकी भूमिका के लिए न्याय का सामना करने के लिए भारत को सौंप दिया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत के प्रयासों का लंबे समय से समर्थन किया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे। कुछ लोगों को शायद वे हमले याद न हों, जिनमें छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की दुखद मौत हो गई थी, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था।”