Sleep time: स्मार्टफोन की लत खतरनाक हो सकती है, ये तो आप जानते ही होंगे! आप सड़क पर जा रहे हैं, कार में सफर कर रहे हैं या हेक्टिक दिन के बाद आराम का मन बना रहे हैं, पता ही नहीं चलता कैसे हाथ में फोन आ जाता है और समय यूं ही निकल जाता है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये आदत आपकी नींद और हेल्थ के लिए नुकसानदेह हो सकती है? हाल में नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि स्क्रीन टाइम आपकी नींद की जगह ले रहा है और अनिद्रा के जोखिम को बढ़ा रहा है।
स्टडी में सामने आया है कि सोने से पहले मोबाइल या स्क्रीन के इस्तेमाल से आपको औसतन 24 मिनट कम नींद आती है। लैपटॉप या फोन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर पड़ सकता है।
फोर्टिस-एस्कॉर्ट्स अस्पताल के न्यूरोलॉजी और न्यूरोवैस्कुलर इंटरवेंशन डॉ. विनीत बंगा ने बताया कि “मेलाटोनिन नाम का एक नींद लाने वाला हार्मोन होता है और मेलाटोनिन के स्त्राव होने के लिए इंद्रियों को बंद करना पड़ता है और तब मेलाटोनिन का स्तर बढ़ जाता है और हम नींद में चले जाते हैं। स्क्रीन टाइम इस पर बहुत असर डालता है। तो स्क्रीन टाइम का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि हम नीली किरणों से प्रभावित हो रहे हैं। हम न केवल देख रहे हैं बल्कि सुन भी रहे हैं, हम फोन पर जो कुछ कर रहे हैं, उसे भी सुन रहे हैं। तो ये कुछ ऐसा है जो मेलाटोनिन को कम करके हमारे दिमाग को प्रभावित कर रहा है, जो नींद लाने वाला हार्मोन है।”
इस स्टडी से यह भी पता चलता है कि नींद में खलल का सीधा संबंध छात्रों की मानसिक सेहत और पढाई लिखाई पर पड़ता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो लोग नींद की परेशानी से जूझ रहे हैं उन्हें स्क्रीन पर समय कम बिताना चाहिए। उन्हें सोने से करीब आधे से एक घंंटे पहले मोबाइल, लैपटॉप या ऐसी दूसरी चीजों से दूरी बनानी चाहिए।
इसके साथ ही मनोचिकित्सक डॉ. गणेश शंकर का कहना है कि “अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के शोध में कहा गया है कि नींद की गुणवत्ता सीधे तौर पर बच्चे के ध्यान, एकाग्रता, स्मृति, सीखने की क्षमता और व्यवहार से संबंधित है। नींद की गुणवत्ता का मतलब है, इसकी अवधि और साथ ही कुल मिलाकर वे संतोषजनक कारक जो हमें सुबह मिलते हैं, सुबह के समय हम नींद के बाद तरोताजा महसूस करते हैं। ये कारक सीधे हमारे दिमाग की संज्ञानात्मक क्षमताओं से संबंधित हैं। इसलिए अगर छात्र ठीक से नहीं सोएंगे, तो उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर असर पड़ेगा।”))
इसमें कहा गया है कि स्क्रीन टाइम आपके लिए हानिकारक है, चाहे आप इसका इस्तेमाल किसी भी तरह से करें। चाहे वो सोशल मीडिया हो, आपका पसंदीदा टीवी शो हो या आपके लैपटॉप पर कोई ऑफिस प्रेजेंटेशन हो। हालांकि इस स्टडी में ये भी चेतावनी दी गई है कि “ये कहना नामुमकिन है कि स्क्रीन का इस्तेमाल सीधे नींद ना आने की वजह बनता है या अनिद्रा से पीड़ित छात्र स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।”