Assam: असम में रोंगाली बिहू के मौके पर ढोल और पेपा की जीवंत थाप हर ओर सुनाई देती है। महिलाएं असम की पारंपरिक धुनों पर नाचती हुई नजर आती हैं। रोंगाली बिहू में बस कुछ ही दिन बचे हैं, और गुवाहाटी की सड़कें रोंगाली बिहू की रौनक से गुलजार हैं। चांदमारी खेल के मैदान में पूर्वा गुवाहाटी बिहू सम्मेलन की ओर से आयोजित दैनिक बिहू नृत्य कार्यशालाओं में लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। प्रशिक्षित प्रशिक्षकों से प्रतिभागी पारंपरिक बिहू नृत्य के तेज़-तर्रार, ऊर्जावान चरणों को सीख रहे हैं।
त्योहारों के दौरान किया जाने वाला ये जीवंत लोक नृत्य अपने तेज़ कदमों, सुंदर हाथों की हरकतों और चेहरे के भावों के लिए जाना जाता है। इससे वसंत की खुशी और भावना भी खूबसूरती से जाहिर होती है। बिहू नृत्य के साथ-साथ, छोटे बच्चों को ढोल बजाना भी सिखाया जा रहा है जो उत्सव के लिए काफी जरूरी माना जाता है। रोंगाली बिहू असमिया नव वर्ष की शुरुआत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। इस साल ये त्योहार 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक मनाया जाएगा।
उगादि बिहू सम्मेलन के महासचिव हिमंता ठाकुर ने कहा, “इस बार उगादि बिहू सम्मेलन 64 साल में पदार्पण कर रहा है और इस बार हम लोग एक अप्रैल से 12 तारीख तक बिहू वर्कशॉप होगा। हम लोग बहुत साल से ये कोशिश कर रहे हैं कि नई जनरेशन को अपना कल्चर सिखा सकें। ताकि वो आगे जाकर विश्व धरोहर में इसे रख सकें।”