Tamil Nadu: 55 साल के चिन्नन अपने खेत में आम, इमली, नारियल जैसे सारे फसल उगाते हैं, जिनकी आमतौर पर तमिलनाडु के डिंडिगुल जिले में खेती होती है। करीब एक दशक पहले इंटरनेट से उन्हें वाटर एप्पल की जानकारी मिली। उन्होंने फौरन वाटर एप्पल की खेती का मन बना लिया और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
घंटी के आकार का फल नाशपाती से मिलता-जुलता है। इसमें विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट भरपूर होते हैं। लिहाजा ये सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। ये कुरकुरा, रसीला और हल्का मीठा होता है। इसे ताजा खाया जा सकता है, सलाद में डाला जा सकता है, जूस बनाया जा सकता है या पारंपरिक औषधियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। चिन्नन कई किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उसके अनुभव से फायदा उठा कर कई किसानों ने वाटर एप्पल की खेती शुरू की है।
वाटर एप्पल किसान चिन्नन ने कहा, “हम पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। मैंने मोबाइल पर देखा कि वाटर एप्पल बेहद फायदेमंद खेती है। मैंने करीब 10 साल पहले इसके पौधे लगाए। हम दादा जी के समय से अमूमन नारियल, आम और इमली के पौधे लगाते रहे हैं। ये अलग किस्म थी। मैंने प्रयोग के रूप में इसकी खेती शुरू की। ये काफी फायदेमंद है। मैं एक एकड़ और खेत में इसका बागीचा लगाने की योजना बना रहा हूं। हम रोजाना करीब 20 किलो फल तोड़ते हैं। मौसम आने पर हम रोजाना तीन से चार बार फल तोड़ते हैं। मैंने 15 पेड़ लगाए हैं। इसके फल डिंडिगुल, मदुराई और नाथम जाते हैं। लोगों का कहना है कि ये गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है। इसलिए मैं ऐसी महिलाओं को ये फल देता हूं। एक किलो फल 150 से 200 रुपये में बिकता है।”