Myanmar: म्यांमार में भूकंप के बाद भारत के प्रयासों को व्यापक मान्यता मिली- राजदूत अभय ठाकुर

Myanmar: म्यांमार में भारतीय राजदूत अभय ठाकुर ने कहा है कि विनाशकारी भूकंप के बाद भारतीय राहत और बचाव प्रयासों को वहां व्यापक रूप से मान्यता मिली है। म्यांमार की राजधानी नेपी डा में बातचीत के दौरान अभय ठाकुर ने कहा, “हमने न सिर्फ बचाव और राहत में म्यांमार की मदद की है, बल्कि पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए इस प्रयास को व्यापक रूप से मान्यता मिली है और ये हमें म्यांमार के सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में साबित करेगा।

पिछले हफ्ते म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें तीन हजार से ज्यादा लोगों को जान चली गई। हालांकि बचाव दल अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा है। म्यांमार को दी गई भारतीय सहायता का ब्यौरा साझा करते हुए राजदूत ने बताया, “हमने न केवल अपनी एचएडीआर सहायता जुटाई थी, हम फील्ड अस्पताल, एनडीआरएफ बचाव दल के साथ आए थे, हमारे पास अब तक कुल छह वायु सेना के विमान, पांच भारतीय नौसेना के जहाज थे।”

अभय ठाकुर ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच बहुत पुराने संबंध हैं। उन्होंने कहा, “म्यांमार और भारत की विदेश नीति काफी मजबूत है। ये नेबर फर्स्ट, एक्ट ईस्ट, इंडो-पैसिफिक साथ ही कई मुद्दे और हित को दोनों देशों के नेताओं को एक साथ जोड़ती हैं।” भारत ने आपातकालीन मिशन ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत बचाव दलों के साथ 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई और हवाई और समुद्री मार्ग से और ज्यादा मदद भेजी।

मंडाले में ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत फील्ड अस्पताल ने 23 सर्जरी की हैं, साथ ही 1,300 से ज्यादा लेब टेस्ट और 103 एक्स-रे किए। 118 कर्मियों वाली अस्पताल यूनिट को भारतीय वायुसेना के दो सी-17 हेवी-लिफ्ट विमानों का उपयोग करके म्यांमार में तैनात किया गया था।

अभय ठाकुर, म्यांमार में भारत के राजदूत “यह म्यांमार और यहां के लोगों के लिए बहुत मुश्किल समय है। इस विनाशकारी भूकंप के बाद भारत मदद के लिए सबसे आगे रहा है। म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत सबसे तेत और सबसे अहम मददगार रहा है। 48 घंटों के अंदर मदद पहुंचाई।

“भारतीय विमान सबसे पहले नेपीडॉ में उतरे और हमारे बचाव दल को नेपीडॉ के साथ-साथ मांडले में काम करने के लिए सबसे बड़े एरिया दिए गए, म्यांमार के साथ हमारे लोगों के बहुत पुराने रिश्ते हैं। म्यांमार और भारत की विदेश नीति काफी मजबूत है। ये नेबर फर्स्ट, एक्ट ईस्ट, इंडो-पैसिफिक, साथ ही कई मुद्दे और हित को दोनों देशों के नेताओं को एक साथ जोड़ती हैं।”

“जिस दिन म्यांमार में भूकंप आया, उसके कुछ ही घंटों के भीतर हमारे प्रधानमंत्री ने ये साफ कर दिया था कि हमें आगे बढ़ना चाहिए और तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। हमने न सिर्फ बचाव और राहत में म्यांमार को शामिल किया है, बल्कि पुनर्वास और पुनर्निर्माण के फेज में भी उनके साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।”

“दोनों लोगों और दोनों देशों के बीच विश्वास और भरोसा हमेशा से रहा है, लेकिन भारत की त्वरित और बहुत प्रतिबद्ध और मजबूत प्रतिक्रिया के कारण इसे और भी मजबूती मिली है। हमने न केवल अपनी एचएडीआर सहायता जुटाई थी, हम फील्ड अस्पताल, एनडीआरएफ बचाव दल के साथ आए थे, हमारे पास अब तक कुल छह वायु सेना के विमान, पांच भारतीय नौसेना के जहाज थे। ये म्यांमार की सरकार और लोगों ने देखा है, भारत सरकार की ये मानवीय मदद हमें म्यांमार के सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में साबित करेगी”

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