Waqf Bill: केंद्र और एआईएमपीएलबी यानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर एकमत नहीं दिख रहे। इस विधेयक को अगस्त, 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था, हालांकि सदन में गरमागरम बहस के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था। वक्फ बोर्ड के संचालन और संपत्ति प्रबंधन को विनियमित करने के मकसद से इस विधेयक को लाने के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। एआईएमपीएलबी ने इसे संविधान पर “हमला” और मुसलमानों को निशाना बनाने वाला कदम बताया है।
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि “हम लोगों का मानना है कि ये बिल वक्फ के हित में नहीं है, ये उसके खिलाफ़ है और वक्फ मुसलमानों का धार्मिक मामला है। इसलिए इसमें किसी भी तरह का दखल अस्वीकार्य है। हमने देखा है कि कई मुसलमानों ने इसका पालन किया है। इसका उद्देश्य संसद तक अपनी आवाज़ पहुंचाना और संसद द्वारा इसे पारित होने से रोकना है।”
तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को वापस लेने की गुजारिश की है। इसमें दलील दी गई है कि ये मुसलमानों से संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत उनकी भूमि, संपत्ति और धार्मिक अधिकार छीन लेगा। इस विधेयक का मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है, ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जा सके।
एआईएमपीएलबी प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि “वक्फ के तहत जो प्रॉपर्टीज हैं वो संविधान से सुरक्षित हैं। वक्फ की जो संपत्ति है वो शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937, जिसको हमारे कानून, हमारे संविधान ने मान्यता दी है।”
इस्लामी कानून का एक प्रमुख पहलू ‘वक्फ’ धार्मिक या धर्मार्थ इस्तेमाल के लिए संपत्तियों को नामित करता है। इसका प्रबंधन ‘मुतवल्ली’ द्वारा किया जाता है, जो अपरिवर्तनीय स्वामित्व के साथ इन संपत्तियों की देखरेख और प्रशासन करता है। पीआईबी यानी प्रेस सूचना ब्यूरो के मुताबिक, वक्फ बोर्ड भारत में नौ लाख चालीस हजार एकड़ में फैली आठ लाख सत्तर हजार संपत्तियों की देखरेख करते हैं, जिनकी कीमत एक लाख बीस हजार करोड़ रुपये है। विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 40 को हटाने का प्रस्ताव है, जो बोर्डों को वक्फ संपत्ति की स्थिति निर्धारित करने का अधिकार देता है।
जेपीसी के चेयरमैन बीजेपी सासंद जगदंबिका पाल ने कहा कि “हमें जो जिम्मेदारी मिली है जेपीसी की, उसकी रिपोर्ट हम तैयार कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जो जेपीसी के जो सदस्य हैं उनकी सहमति से हम एक अच्छी रिपोर्ट पेश करें, जिससे जो वक्फ का जो उद्देश्य है जो गरीबों को फायदा करे, आम मुसलमानों को मिले, पसमांदा को मिले, महिलाओं को मिले, तो उसका फायदा मिले। एक निष्पक्ष बिल आए जिससे जो सरकार की मंशा है कि वक्फ का मकसद पूरा हो।”
विधेयक में वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व और बोहराओं और आगा खानियों के लिए एक अलग बोर्ड का प्रस्ताव है। ये विधेयक जिला कलेक्टरों को वक्फ संपत्ति विवादों पर अधिकार देता है और वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए 40 संशोधन पेश करता है, जिससे देश भर में आठ लाख 70 हजार से ज्यादा अचल और 16,000 चल संपत्तियों का प्रबंधन करने वाले 32 बोर्ड प्रभावित होंगे।
उच्चतम न्यायालय अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जो 1995 का वक्फ एक्ट था उसमें कुल 44 बदलाव किए जा रहे हैं। बोहरा और आगा खानी मुस्लिम को भी अब मान्यता दे दी गई है। वक्फ को अनिवार्य रूप से घोषित करने के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। यानी की अगर आप वक्फ संपत्ति घोषित कर रहे हैं तो बाकायदा लिखित में, स्टांप पेपर पर डिक्लेयर करना होगा, गवाहों के सामने होगा। तो वक्फ संपत्ति कब हुई है, कब वो दान की गई है, किसने दान किया है, कब दान किया है, इसका प्रोपर दस्तावेज बनेगा। महिलाओं को भी अब इस पर पूरा अधिकार मिल गया है। पहले क्या हो रहा था कि जैसे किसी महिला को बच्चा नहीं है तो वो अपनी जमीन भांजे को,भतीजे को, बहन के बच्चे को नहीं दे पा रही थी, वो वक्फ में जा रही थी, अब बिना महिला के सहमति के आप संपत्ति नहीं ले सकते हैं उसको वक्फ घोषित नहीं कर सकते, उसमें महिला की सहमति जरूरी है।”
वक्फ (संशोधन) विधेयक ने केंद्र सरकार और एआईएमपीएलबी समर्थित विपक्षी दलों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को और तेज कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मौजूदा संसदीय सत्र में विधेयक को फिर से पेश करने की योजना को दृढ़ता से दोहराया।