CAG report: दिल्ली विधानसभा में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने की वजह प्रदूषण नियंत्रण तंत्र में खामियां हैं, जिसमें पीयूसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताएं, वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली का विश्वसनीय न होना और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का खराब क्रियान्वयन शामिल है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से पेश की गई ‘दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण’ पर रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में प्रमुख नीतिगत कमियों और कमजोर क्रियान्वयन तथा एजेंसियों के बीच खराब समन्वय को उजागर किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.08 लाख से ज्यादा वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि वे स्वीकार्य सीमा से ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और हाइड्रोकार्बन (एचसी) उत्सर्जित कर रहे थे।
कई मामलों में, एक ही समय में कई वाहनों को प्रमाणपत्र जारी किए गए, कभी-कभी एक-दूसरे के एक मिनट के भीतर। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 2020 के बीच, प्रदूषण सीमा को पार करने वाले लगभग 4,000 डीजल वाहनों को अभी भी अनुपालन के रूप में प्रमाणित किया गया था, जिससे उन्हें अपने उच्च उत्सर्जन स्तरों के बावजूद सड़क पर बने रहने की अनुमति मिली।
दिल्ली में पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के प्रदर्शन पर 14 सीएजी रिपोर्टों में से, आबकारी और स्वास्थ्य सहित आठ को बीजेपी सरकार की ओर से अब तक विधानसभा में पेश किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दैनिक रिपोर्ट किए जाने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मूल्य हमेशा वास्तविक प्रदूषण के स्तर को नहीं दर्शाते हैं, जिससे अधिकारियों के लिए प्रभावी ढंग से जवाब देना मुश्किल हो जाता है।
रिपोर्ट में पिछली एएपी सरकार की भी आलोचना की गई है कि वो प्रदूषण के सटीक स्रोतों की पहचान करने के लिए कोई वास्तविक समय अध्ययन करने में विफल रही, जो लक्षित समाधान तैयार करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। रिपोर्ट में कहा गया है, “वाहन दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता के लिए प्रमुख स्थानीय योगदानकर्ताओं में से एक हैं।”
2018-19 से 2020-21 तक 47.51 लाख ओवरएज वाहनों को डीरजिस्टर करने की आवश्यकता थी, सरकार ने केवल 2.98 लाख ऐसे वाहनों का पंजीकरण रद्द किया, जो एंड-ऑफ-लाइफ-व्हीकल (ईएलवी) का एक छोटा सा अंश (6.27 प्रतिशत) है, जबकि अधिकांश 93.73 प्रतिशत (44.53 लाख) ईएलवी की मार्च 2021 तक “सक्रिय” पंजीकरण स्थिति थी। रिपोर्ट में कहा गया है, ये दर्शाता है कि ये ईएलवी अभी भी दिल्ली की सड़कों पर चल रहे थे।