Navratri 2025: आज नवरात्रि के तीसरे दिन, देवी माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से शांति, साहस, और मानसिक बल की प्राप्ति के लिए माँ चंद्रघंटा का व्रत और पूजन किया जाता है। माँ चंद्रघंटा, देवी दुर्गा का एक रूप हैं। इनका रूप अत्यंत दिव्य और शांतिमय होता है। “चंद्रघंटा” शब्द में “चंद्र” का अर्थ है चाँद और “घंटा” का अर्थ है घंसी, जो माँ के सिर पर स्थित है। यह घंटा उनके अद्वितीय तेज और शक्ति का प्रतीक है। माता के माथे पर चाँद का आकार इस बात का प्रतीक है कि वह ब्रह्मांड की समग्रता में शांति और संतुलन लाती हैं। माँ चंद्रघंटा की पूजा से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, आत्मविश्वास, और साहस की वृद्धि होती है। साथ ही यह पूजा विशेष रूप से उस व्यक्ति के जीवन से भय और नकारात्मकता को दूर करने में सहायक मानी जाती है।
पूजा की विधि
आज के दिन, भक्तजन माँ चंद्रघंटा की पूजा विधिपूर्वक करते हैं। पूजा में सबसे पहले भक्त शुद्धता से स्नान कर नए वस्त्र पहनते हैं। फिर पूजा स्थल को स्वच्छ करके, माँ के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक और अगरबत्तियाँ जलाते हैं।
पूजा का मुख्य रूप
माँ के मंत्रों का जाप- “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” इस मंत्र का जाप किया जाता है। यह मंत्र माँ की शक्ति को जगाने और उनकी कृपा पाने के लिए बोला जाता है।
अक्षत और पुष्प अर्पित करें – माँ चंद्रघंटा को अक्षत (चावल) और पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
सप्त दिव्य व्रत – इस दिन विशेष रूप से सप्त दिव्य व्रत का पालन किया जाता है, जिसमें उपवास और संयम का विशेष ध्यान रखा जाता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में है। कहा जाता है कि माँ चंद्रघंटा के दर्शन करने से समस्त भय समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति मानसिक रूप से बलवान बनता है। नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्थिति में भी सुधार आता है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में असमंजस या तनाव महसूस करते हैं। इस दिन का महत्व समझकर, भक्तजन बड़े श्रद्धा और भक्ति से माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, ताकि जीवन में आ रही मुश्किलों से उबर सकें और सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकें।