Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मंडला जिले के छोटे से गांव पिपरटोला के लोगों के लिए पीने का पानी खोजना एक गंभीर संकट बना हुआ है। इस संकट ने यहां रहने वाले लोगों के दैनिक जीवन को बेहद मुश्किल हालात में जकड़ रखा है। इस गांव की आबादी करीब एक हजार है। गांव के लोगों को पक्का जल स्रोत न होने के कारण रोज़ाना पास की नदी तक जाना पड़ता है। गंदे पानी को इकट्ठा करके उसे रेत से छानना पड़ता है और यही उनके जीवित रहने की इकलौती उम्मीद है। चिलचिलाती गर्मी में पुरुष और महिलाएं दोनों की दिनचर्या में पानी के लिए ये संघर्ष शामिल है। प्यास बुझाने की उनकी लड़ाई में यही एकमात्र विकल्प भी है।
ये जल संकट न सिर्फ़ गांव वालों के जीवित रहने का संघर्ष है बल्कि ये गांव के सामाजिक ताने-बाने को बदल रहा है। पानी की कमी के कारण रोज़मर्रा की ज़िंदगी बेहद मुश्किल हो गई है। इस वजह से गांव में रहने वाले युवकों के शादी-विवाह की संभावनाओं पर असर पड़ रहा है। गांव के आधे से ज़्यादा युवा कुंवारे रह गए हैं क्योंकि विवाह करने वाले परिवार ऐसी जगह पर शादी करने से कतराते हैं, जहां सबसे बुनियादी ज़रूरत की चीज़ें भी मिलना मुश्किल है।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों के लिए नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत काम चल रहा है। अपने दैनिक संघर्षों के बावजूद ग्रामीणों में अभी भी उम्मीद बाकी है। पानी की पाइपलाइन बिछाए जाने के वादों के साथ वे एक ऐसे भविष्य का सपना देखते हैं, जहां उन्हें पानी लाने के लिए रोज़ाना का संघर्ष नहीं करना होगा। हालांकि अभी के लिए उनकी हकीकत में कोई बदलाव नहीं है और एक बेहद अहम सवाल अब भी मौजूद है कि पानी के लिए उन्हें अभी और कितना इंतज़ार करना होगा।