PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर पहुंचेंगे, जहां वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक डॉ. के. बी. हेडगेवार के स्मारक पर जाएंगे और दीक्षाभूमि में डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देंगे। प्रधानमंत्री ऐसे समय में ये दौरा करेंगे जब गुड़ी पड़वा उत्सव के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समारोह का आयोजन किया जाएगा।
एक सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रधानमंत्री मोदी स्मृति मंदिर जाएंगे और RSS के संस्थापकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। हेडगेवार और RSS के दूसरे सरसंघचालक एम. एस. गोलवलकर के स्मारक नागपुर के रेशिमबाग क्षेत्र में डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर में स्थित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी नागपुर में दीक्षाभूमि जाएंगे और डॉ. बी. आर. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देंगे। आंबेडकर के दीक्षाभूमि में 1956 में अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री ‘माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर’ की आधारशिला रखेंगे, जो माधव नेत्रालय नेत्र संस्थान और अनुसंधान केंद्र का विस्तार करके बनाया गया है।
इस संस्थान की 2014 में स्थापना हुई थी और ये एक प्रमुख ‘सुपर-स्पेशियलिटी’ नेत्र चिकित्सा सुविधा है। इस संस्थान की स्थापना डॉ. गोलवलकर की याद में की गई थी। संस्थान की स्थापना गोलवलकर की स्मृति में की गई थी। इस संस्थान में 250 बिस्तरों वाला अस्पताल, 14 बाह्य रोगी विभाग (OPD) और 14 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर होंगे, जिनका उद्देश्य लोगों को सस्ती और विश्व स्तरीय नेत्र उपचार सेवाएं प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री नागपुर में सोलर ‘डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड’ की शस्त्रागार सुविधा का दौरा करेंगे। वो हवाई वाहनों के लिए नवनिर्मित 1,250 मीटर लंबी और 25 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी का उद्घाटन करेंगे और ‘लोइटरिंग म्यूनिशन’ तथा अन्य निर्देशित युद्ध सामग्री का परीक्षण करने के लिए ‘लाइव म्यूनिशन और वारहेड’ परीक्षण केंद्र का उद्घाटन करेंगे।
सुधीर पाठक ने कहा, “उनका दौरा निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन ये याद रखना चाहिए कि मोदीजी के लिए RSS कार्यालय या रेशमबाग कोई नई बात नहीं है। वे संघ के प्रचारक थे और वे मुख्यालय और रेशमबाग आते-जाते रहते थे। वो इस स्थान का महत्व जानते हैं। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं चूंकि वे प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उन्हें कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना होता है। जब वे गुजरात के सीएम थे, तब वे रेशमबाग आते थे। आज वे भले ही कोई बड़ा व्यक्ति बन गए हों, लेकिन जब वे पार्टी मुख्यालय जाते थे, तो वे एक सामान्य स्वयंसेवक की तरह व्यवहार करते थे। किसी को नहीं पता था कि वे एक दिन इतने बड़े व्यक्ति बन जाएंगे। बाद में हमें एहसास हुआ कि इतने सारे लोग उनसे बात करते थे।”