ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को एक बड़ी सफलता हासिल की। तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (पीएसटीए) का पहला हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया गया। ये सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास में एक अहम कदम है।
ये नया इंजन 2000 केएन की ताकत (थ्रस्ट) पैदा करेगा, जिससे एलवीएम3 रॉकेट की पेलोड क्षमता चार टन से बढ़कर पांच टन (जीटीओ में) हो जाएगी।
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) द्वारा विकसित ये सेमी-क्रायोजेनिक इंजन तरल ऑक्सीजन (एलओएक्स) और केरोसीन जैसे गैर-विषाक्त और सुरक्षित ईंधन का उपयोग करता है। इससे ये पहले के एल110 इंजन से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन देगा। ये इंजन 180 बार दबाव और 335 सेकंड स्पेसिफिक इम्पल्स पर काम करता है, जिससे इसे अधिक ताकतवर और कुशल बनाया गया है।
इसरो ने महेंद्रगिरि (तमिलनाडु) में सेमी-क्रायोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन टेस्ट फैसिलिटी (एसआईईटी) नामक एक उन्नत परीक्षण केंद्र भी विकसित किया है। ये केंद्र 2600 केएन तक की थ्रस्ट क्षमता वाले इंजनों का परीक्षण कर सकता है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में किया था।
हाल ही में हुए पीएचटीए हॉट टेस्ट में 2.5 सेकंड तक चलने वाले परीक्षण के दौरान महत्वपूर्ण उप-प्रणालियों जैसे प्रे-बर्नर, टर्बो पंप और कंट्रोल सिस्टम के प्रदर्शन को सफलतापूर्वक परखा गया। इस सफलता के बाद, इसरो इस इंजन के प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए कई और परीक्षण करने की योजना बना रहा है, इसके बाद ही पूरी तरह से विकसित इंजन का निर्माण किया जाएगा।