Red Fort: सुप्रीम कोर्ट ने 17वीं सदी के मुगलकालीन स्मारक लाल किले के जीर्णोद्धार और संरक्षण की मांग करने वाली दो दशक से ज्यदा पुरानी जनहित याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उसके विशेषज्ञ पैनल ने अधिकांश निर्देशों का पालन किया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता राजीव सेठी की 2003 में दायर याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि स्मारक का संरक्षण अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार नहीं किया जा रहा है।
पीठ ने सेठी की ओर से पेश अधिवक्ता बीना माधवन से कहा कि अदालत ने उनकी याचिका पर पहली बार विचार किए जाने के बाद से 20 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है और अधिकांश निर्देशों का अनुपालन किया जा चुका है, इसलिए याचिका को इतने लंबे समय तक लंबित रखने का कोई मतलब नहीं है।
2004 में नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने ये सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सिद्धांतों के अनुसार एक व्यापक संरक्षण प्रबंधन योजना तैयार की जाए और स्मारक के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए उचित कदम उठाए जाएं। नवंबर 2003 में, शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को इस मामले में अदालत की सहायता करने और स्मारक पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए जीर्णोद्धार और जीर्णोद्धार कार्य का निरीक्षण करने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया था।
शीर्ष अदालत ने साल्वे से याचिकाकर्ता के उन आरोपों की पुष्टि करने को भी कहा था कि लाल किले में किए गए जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप नहीं थे। इसने साल्वे को तत्कालीन सॉलिसिटर जनरल किरीट रावल और याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल के साथ लाल किले का दौरा करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।