Manipur: भारत के ज़्यादातर हिस्सों में होली सिर्फ़ एक दिन मनाई जाती है, लेकिन मणिपुर में इस त्यौहार को पांच दिन के खेल तमाशे- याओशांग के तौर पर मनाया जाता है। याओशांग पूरे मणिपुर में खेला जाने वाला उत्सव है। इसमें हर कोई शामिल होता है – ऊर्जावान बच्चों से लेकर उत्साही वरिष्ठ नागरिक तक इसमें शिरकत करते हैं।
याओशांग से पहले ही स्थानीय क्लब और संगठन खाली जगहों को खेल के मैदानों में बदल देते हैं। इन मैदानों पर रोमांचक प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें तकरीबन हर समुदाय के लोग शिरकत करते हैं। मौज-मस्ती और खेल से इतर याओशांग सामाजिक समरसता की एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।
युवाओं को खेलों में शामिल करना, टीम वर्क को बढ़ावा देना और उन्हें ड्रग्स और असामाजिक प्रभावों से दूर रखना याओशांग का अहम उद्देश्य होता है। इस साल के याओशांग समारोह का महत्व और भी ज्यादा है, क्योंकि अब मणिपुर मई 2023 में भड़की मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा से उबर रहा है।
हिंसा में कम से कम 250 लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग विस्थापित हुए थे। इनमें से कई लोग अभी भी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। हिंसा के जख्मों के बीच, याओशांग लचीलेपन का प्रतीक बन गया है। दरअसल इसके जरिए लोगों को इस बात की उम्मीद दिखाई गई कि जल्द ही सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा।