Holi 2025: जानिए होलिका दहन मनाने के पीछे का असली कारण

Holi 2025: होली का दहन एक पौराणिक कथा पर आधारित है, जो भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद और उसके पिता हिरण्यकश्यप की कहानी है। यह कथा पुराणों में वर्णित है और होली के त्योहार के पीछे का मुख्य कारण है।

हिरण्यकश्यप की कथा
हिरण्यकश्यप एक शक्तिशाली राजा था जो अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से रोकना चाहता था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना की और भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा।

हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार प्रहलाद की रक्षा की। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को शाप देने के लिए कई ऋषियों से संपर्क किया, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार प्रहलाद की रक्षा की।

होलिका की कथा
होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी जो एक शक्तिशाली राक्षसी थी। वह आग में नहीं जलती थी और अपने भाई के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को आग में जला दे।

होलिका ने अपने भाई की आज्ञा का पालन किया और प्रहलाद को आग में जलाने के लिए तैयार हो गई। होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर आग में जलाने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की। होलिका आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित बच गया।

प्रहलाद की कथा
प्रहलाद ने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना की और भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा। जब होलिका ने प्रहलाद को आग में जलाने की कोशिश की, तो भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की। प्रहलाद सुरक्षित बच गया और भगवान विष्णु ने उसकी भक्ति को पुरस्कृत किया।

प्रहलाद की कथा भगवान विष्णु की शक्ति और भक्ति की जीत की कहानी है। यह कथा होली के त्योहार के पीछे का मुख्य कारण है और लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं।

होली का दहन
होली का दहन होलिका के जलने का प्रतीक है। यह त्योहार होली के एक दिन पहले मनाया जाता है और लोग होलिका की प्रतिमा को आग लगाते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *