Women’s Day: आदिवासी बहुल गांवों की महिलाओं ने पेश की सशक्तिकरण की मिसाल

Women’s Day: मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के आदिवासी बहुल गांवों में महिलाओं ने मशरूम की खेती के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण का नया रास्ता खोज लिया है। इनमें ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिनके पति स्थानीय खदानों में काम करते हैं और अक्सर बीमार रहते हैं, यह महिलाएं अब मशरूम उगाकर और बेचकर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।

इन महिलाओं को एक गैर सरकारी संगठन साथ लाया है। वो इन महिलाओं को ट्रेनिंग भी देता है ताकि वे मशरूम की खेती को आय के स्थायी स्रोत के रूप में अपना सकें। इस कोशिश से न सिर्फ उनकी जिंदगी में बदलाव आया है, बल्कि वे अपने समुदाय के लिए भी खास योगदान कर पाई हैं।

इन महिलाओं के सामूहिक प्रयास से महिला उद्यमियों का एक बेहतरीन समुदाय बन सका है, इन आदिवासी महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि खुद को अलग साबित करने और सशक्त बनाने के मजबूत हौसले को अपनाने से जिंदगी में किस तरह बदलाव आ सकता है।

मशरूम किसान गुज्जी बाई ने बताया कि “काम करते हैं घर में भी लगाते हैं, खाते हैं, बेचते हैं और हमारे पति पत्थर खदान में काम करते हैं कर नहीं पाते हैं बीमार हो जाते हैं। तो हम मशरूम का काम करते हैं तोलते हैं और बेचते हैं। मशरूम में हम हजार रुपये कमा लेते हैं।

मशरूम किसान प्रेम बाई ने कहा कि “मशरूम लगा लेते हैं, तो इसी में हम खाते पीते हैं हमारे बच्चे खाते पीते हैं, काम धंधा हमारा कुछ है ही नहीं। इसी में हमारा खर्चा चलता है और हमारी मैडम है उन्होंने मुर्गी दी हैं उन्हीं का पालन पोषण करते हैं। उसी में खर्चा चलता है, हम तो इसको खाते हैं बहुत अच्छा लगता है खाने में हमारे बच्चे भी खाते हैं और बढ़िया सब्जी इसकी आती है। हमारी ये बहु लगाती है तो ये सबको देती है और हमको भी देती है कि लो ये सब्जी खाओ तो हम भी खाते हैं बहुत अच्छी लगती है।

 

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