Uttarakhand: उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने रामगंगा नदी में जलीय जीवों की सालाना गणना पूरी कर ली है। तीन दिनों का सर्वेक्षण तीन से पांच मार्च तक किया गया। भारत के सबसे पुराने टाइगर रिजर्व के तौर पर जिम कॉर्बेट न सिर्फ स्थलीय वन्यजीवों और पक्षियों के संरक्षण में, बल्कि जलीय जीवन के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से होकर गुजरने वाली रामगंगा नदी इन प्रजातियों के लिए प्राथमिक आवास बन चुका है।
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर, डॉ. साकेत बडोला ने जानकारी देते हुए बताया, “कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में कई जलीय जो जीव जंतु होते हैं वो भी पाए जाते हैं। बहुत महत्वपूर्ण हैं। जिनमें से ऑटर, घड़ियाल, मगरमच्छ आदि होते हैं। इनकी गणना करने के लिए हमने जो तीन दिवसीय जो इनकी गणना थी, वो तीन, चार, पांच तारीख को किया है। हमारे पास उसका डेटा आ गया है उसके डेटा का एसेसमेंट किया जाएगा।
फिर देखा जाएगा कि कहीं पर कोई गेप्स तो नहीं है और कहीं पर कोई गेप पाए गए तो उसे दूर करने के लिए और एक्सरसाइज की जाएगी और हम फिर उस संख्या पर पहुंचेंगे जो कि हमारे यहां के जो जलीय जीवजंतु हैं उनके बारे में हमें एक जानकारी दे पाएंगे।”
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से सटी रामगंगा नदी में कई दुर्लभ जलीय जीव पाए जाते हैं। इनमें मगरमच्छ, घड़ियाल, और ऊदबिलाव शामिल हैं। इनकी घटती संख्या को देखते हुए, पार्क प्रशासन ने विशेष सैंड बैंड्स तैयार किए हैं। इन सैंड बैंड्स से इनके अंडों की सुरक्षा होगी और इनकी आबादी बढ़ने में मदद मिलेगी।
साल 2024 में कॉर्बेट में 197 मगरमच्छ, 183 घड़ियाल, और 161 ऊदबिलाव देखे गए थे। ऊदबिलाव की संख्या में कमी आने का कारण प्रत्यक्ष रूप से इन्हें कम देखा जाना है। ऊदबिलाव एकांतवासी होता है और कई बार प्रत्यक्ष गणना में दिखाई नहीं देता। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, भारत के सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव अभयारण्यों में शामिल है।
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