Bhopal gas tragedy: मघ्य प्रदेश के भोपाल में 1984 को हुई गैस त्रासदी में 5,479 लोगों की जान चली गई थी, उसके खतरनाक कचरे का इंदौर के पास निपटारे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में है। सुप्रीम कोर्ट मामले में केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा है।
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को भोपाल से 250 किमी दूर और इंदौर से लगभग 30 किमी दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में भेजा गया था। शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य के अधिकार और इंदौर शहर सहित आस-पास के इलाकों के निवासियों के लिए जोखिम के मौलिक मुद्दे को उठाने वाली एक याचिका पर ध्यान दिया।
दो और तीन दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि में यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) का रिसाव हुआ था, जिससे 5,479 लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। इसे दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता पीथमपुर में 337 टन खतरनाक रासायनिक कचरे के निपटान में अधिकारियों के फैसले से चिंतित है।