Dashrath Manjhi: बिहार के एक छोटे से गांव के दशरथ मांझी की कहानी इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हो चुकी है, उन्होंने अकेले एक ऊंची पहाड़ी को काट कर आने-जाने का रास्ता बना दिया था। गया जिले के गहलौर गांव के पास पहाड़ी काट कर बना रास्ता दशरथ मांझी के मजबूत इरादों के साथ उनकी प्रेम कहानी का भी चश्मदीद है, पहाड़ी काट कर रास्ता बनाने में उन्हें 22 साल लगे। ये रास्ता पत्नी फगुनिया के प्रति दशरथ मांझी के प्रेम की मिसाल है।
वैलेंटाइन डे के मौके पर उनके परिवार ने इस अद्भुत प्रेम कहानी को याद किया। दशरथ मांझी की पोती अंशू मांझी ने बताया कि “मेरा बाबा जी प्यार के खातिर पहाड़ तोड़ दिए। ताजमहल एक लाख मजदूर बनाए, लेकिन मेरा दादा जी एक छेनी-हथौड़ी से यादगार उपहार छोड़ दिए।”
अंशू मांझी के पति मिथुन मांझी ने बताया कि “इकलौता निशानी है, दशरथ मांझी जी ने फगुनिया के प्रेम में, अपनी पत्नी में 22 साल मात्र छेनी और हथौड़ी से अकेले दम पर रास्ता बनाए। इससे बढ़के कुछ नहीं हो सकता है। एक अजूबा ही है दशरथ मांझी का पहाड़ काटना। जो वैलेंटाइन डे है, उसके लिए बहुत सारे लोग यहां पे एकत्रित होते हैं। लोग देखते हैं उसके प्यार की निशानी। बहुत गर्व महसूस होता है। दुनिया इससे सीख लेती है कि अगर प्यार करना है तो दशरथ मांझी जैसा किया जाए।”
साल 1960 के आसपास दशरथ मांझी की पत्नी फगुनिया देवी गांव के पास की पहाड़ी चढ़ते समय जख्मी हो गई थीं, सड़क के अभाव में उन्हें समय रहते अस्पताल नहीं ले जाया जा सका और उन्होंने दम तोड़ दिया। पत्नी की मौत से दशरथ मांझी को बड़ा आघात पहुंचा और उन्होंने तय कर लिया कि वे किसी और को ऐसी त्रासदी नहीं झेलने देंगे। गहलौर गांव में माउंटेन मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर दशरथ मांझी का समाधि स्थल बना हुआ है। जिसे देखने के लिए दूर दूर से सैलानी पहुंचते हैं और उनकी समाधी पर फूल चढ़ाते हैं।