Air Pollution: कैसे वायु प्रदूषण दिमागी सेहत को कर सकता है खराब

Air Pollution: अगर आप सोचते हैं कि वायु प्रदूषण से सिर्फ आपके फेफड़ों पर असर पड़ता है, तो आप गलत है। ये आपके दिमाग पर भी भारी नुकसान डाल सकता है, हाल ही में हुई एक स्टडी में ये बात सामने आई है। इस स्टडी को नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि वायु प्रदूषण फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि दिमाग के लिए भी खतरा पैदा करता है।

यहां तक ​​कि थोड़ा सा जोखिम भी आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर डाल सकता है। बर्मिंघम विश्वविद्यालय प्रोफेसर फ्रांसिस पोप ने कहा कि “हमने यह दिखाया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने पर संज्ञानात्मक प्रभाव होता है। ये प्रभाव कुछ वक्त के लिए होता है। हालांकि, हमारी परिकल्पना ये है कि वायु प्रदूषण शरीर में सूजन की वजह बनता है और ये सूजन संज्ञान को कम कर देती है। इसलिए पहले दूसरे समूहों के किए गए अध्ययनों से पता चला है कि सूजन और संज्ञानात्मक शिथिलता के बीच एक लिंक है। इसलिए हम जो सोचते हैं वो ये है कि वायु प्रदूषण से शरीर में सूजन हो जाती है और वह सूजन संज्ञानात्मक मंदी की ओर ले जाती है, इसलिए ये कुछ वैसा ही है जब हमें सर्दी या दूसरी बीमारियां हो जाती हैं।”

“हमने देखा कि भावना, अभिव्यक्ति, भेदभाव और चयनात्मक ध्यान देने की क्षमता पर भी असर पड़ा। चयनात्मक ध्यान का मतलब है कि क्या आप किसी काम, लक्ष्य पर फोकस सकते हैं और विकर्षणों से बच सकते हैं। अभिव्यक्ति की पहचान इस बारे में है कि क्या आप दूसरे लोगों की भावनाओं की बता सकते हैं। हमारा मानना ​​है कि वर्किंग मेमरी (कार्यशील स्मृति) इस असर के लिए मजबूत रही होगी।”

बर्मिंघम और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 के हाई लेवल के संपर्क में आने वाले लोगों को कुछ चीजों को चुनने में दिक्कत आई और उनकी भावनात्मक पहचान भी कमजोर हो गई।

इस स्टडी से पता चलता है कि वायु प्रदूषण न केवल सोचने समझने पर असर डालता है, बल्कि सामाजिक दायरे को भी प्रभावित करता है। ये भावनात्मक पहचान और फैसला लेने में रुकावट डालता है, इससे अनुचित व्यवहार होना या फोकस कम होना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि ज्यादा प्रदूषित शहरी इलाकों में लोगों को ज्यादा दिक्कत हो सकती हैं, इसके असर से आर्थिक विकास भी धीमा हो सकता है और सामाजिक, बौद्धिक विकास में भी अड़चन आ सकती है। ये रिसर्च इस ओर इशारा करती है कि वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए ताकि इसके खतरों से बच्चों और बड़ों को बचाया जा सके।

ये पहले ही साफ है कि पीएम 2.5 जैसे प्रदूषकों से लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारियां तक हो सकती हैं, दिमाग की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए एक्सपर्ट ज्यादा ट्रैफिक वाले इलाकों से बचने और एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *