Moradabad: साल 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश होने से पहले देशभर के छोटे व्यापारियों और लघु उद्योगों द्वारा जीएसटी दरों में कमी की मांग की जा रही है। मुरादाबाद का पीतल उद्योग भी इसकी उम्मीद कर रहा है। व्यापारियों का कहना है कि कर के बोझ के कारण कीमतें बढ़ी हैं, मुनाफा कम हुआ है और बिक्री में कमी आई है, जिससे लोग पीतल के व्यापार से दूर हो रहे हैं, उन्हें कुशल कारीगरों की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि श्रमिकों को दूसरी जगहों पर कमाई के अच्छे मौके मिल गए हैं।
व्यापारियों को उम्मीद है कि पीतल के उत्पादों पर न केवल जीएसटी दरें कम होंगी, बल्कि उत्पाद शुल्क में भी कमी आएगी। उनका मानना है कि ये उपाय उद्योग को फिर से खड़ा करने में काफी मददगार साबित होंगे। पीतल उद्योग की संभावनाओं को लेकर व्यापारियों में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन वे कच्चे माल और तैयार उत्पादों पर जीएसटी स्लैब को सही करने की मांग को लेकर एकजुट हैं।
मुरादाबाद अपने पीतल उद्योग के लिए प्रसिद्ध है, जहां व्यापारी और कारीगर कई पीढ़ियों से इस काम से जुड़े हुए हैं। कई और उद्योगों की तरह ये उद्योग भी उम्मीद लगाए बैठा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में बजट पेश करते समय उनका ध्यान रखेंगी।
पीतल व्यापारी श्याम सुंदर ने कहा कि “एक तो टैक्स बहुत हाई कर रखे हैं इन्होंने, इस वजह से बिक्री कम है, क्योंकि 12 पर्सें टैक्स पीतल पर बहुत होता है। 600 रुपये पीतल है तो 72 रुपये किलो तो टैक्स हो गया। व्यापारी धंधा करता है पांच-10 पर्सेंट का, वो भी उधार पर करता है। यहां का व्यापार उधार पर ज्यादा है, इसलिए बिजनेस थोड़ा स्लो है टैक्स की वजह और कुछ थोड़ा उत्पीड़न ज्यादा होता है अधिकारियों के जरिये, जीएसटी के अधिकारियों के जरिये। इसलिए भी व्यापारी आने में डरता है यहां।”
“बजट से हमें उम्मीदें हैं कि ये जो टैक्स लगा हुआ है जगह-जगह पर टैक्स लगा हुआ है, जीएसटी है और तरह-तरह के टैक्स लगे हुए हैं। ये टैक्स खत्म होने चाहिए, इससे कारोबार जो है बिल्कुल समाप्त हो गया है। जो हमारा कारीगर तबका है वो ई-रिक्शा चलाने पर मजबूर हो गया है कि ई-रिक्शा चलाएगा तो सुबह से शाम तक पांच सौ रुपये कमा भी लेगा, लेकिन कारीगर ये काम करके 500 रुपये भी नहीं कमा पा रहा।
“पीतल कारोबारियों को हमें ये सबसे ज्यादा उम्मीद है कि थोड़ा सा हमारे ऊपर से जीएसटी जो है अगर वो कम हो जाए, 12 से पांच आ जाए, तो हमारा ब्रास का प्रोडक्ट जो है वो काफी ऊंचे, मतलब रेट काफी ज्यादा हो चुके हैं, अब तक के सबसे महंगे रेट पर है। तो अगर टैक्स थोड़ा कम हो जाएगा तो कस्टमर की पहुंच में आसानी से आ जाएगा, मुझे ये उम्मीद है कि हमारे व्यापारियों के लिए ये कुछ टैक्स में राहत देंगे। मझोले व्यापारियों के लिए टैक्स में छूट देंगे। दूसरे ये जो एक्साइज ड्यूटी वगैरह है ये कम करेंगे, जिसकी वजह से व्यापार बढ़ेगा और तरक्की होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि “पीतल से कारोबार से कनेक्टेड हमें उम्मीद ये है कि हम इस सरकार से चाह रहे हैं कि सरकार ने 18 पर्सेंट तो रॉ मैटेरियल पर ही लगा रखा है टैक्स और जो प्रोडक्ट है 12 पर्सेंट पर, यानी कि छह पर्सेंट का जो गैप आता है वो उसके रेट पर आ जाता है। अगर दोनों चीजें सेम हो जाएंगी तो रेट कम हो जाएंगे, उपभोक्ता को सस्ता मिलेगा और हमारी डिमांड बढ़ेगी।