Uttar Pradesh: जहां लोग जाति और धर्म के लिए लड़ रहे हैं, मोहम्मद अली सांप्रदायिक एकता की मिसाल दे रहे हैं। मोहम्मद अली 2007 से घूर देवी मंदिर में सेवा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के बहराइच में माता घूर देवी मंदिर की पूरी जिम्मेदारी मोहम्मद अली संभालते हैं। मुस्लिम होकर भी मंदिर में सेवा करके मोहम्मद अली सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देते हैं
अली ने बचपन से ही मंदिर की सेवा करना शुरू कर दिया था। तब उनकी आंखों में थोड़ी परेशानी थी। मोहम्मद अली का मानना है कि देवी मां के आशीर्वाद से उनकी आंखें ठीक हो गईं।
उन्होंने मंदिर के परिसर के भीतर एक हनुमान मंदिर के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हनुमान मंदिर के लिए मोहम्मद अली ने दान भी दिया है और चंदा भी इकट्ठा किया है।
मोहम्मद अली की कहानी सांप्रदायिक सद्भाव का शक्तिशाली उदाहरण है। अगर समाज के लोग मोहम्मद अली से कुछ सीख लें तो देश में धार्मिक एकता की एक नई इबारत लिखी जा सकती है। मोहम्मद अली ने अपना धर्म नहीं छोड़ा और वह नमाज़ भी पढ़ते हैं।
मोहम्मद अली, बहराइच ज़िले के जैतापुर गांव के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि जैतापुर बाज़ार से कुछ ही दूरी पर देवी मां का घूरदेवी मंदिर है। मोहम्मद अली की मां ने अपने बेटे के लिए मनोकामना मांगी थी और वह मनोकामना पूरी भी हो गई थी, जिसके बाद से मोहम्मद अली देवी मां के भक्त बन गए थे। मोहम्मद अली ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है और मां के मंदिर के पास ही हनुमान मंदिर का निर्माण भी शुरू कराया है।