Mahakumbh: मुक्ति की आस लेकर फ्रांस, इटली, जापान और फ्रांस से आ रहे हैं सबसे अधिक श्रद्धालु

Mahakumbh: महाकुम्भ नगर में 29 जनवरी को होने जा रहे मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए 10 करोड़ लोगों के पावन त्रिवेणी के तट पर पहुंचने का अनुमान है। इस पुण्य और पावन अवसर का भागीदार बनने के लिए कई देशों से विदेशी भक्त और श्रद्धालु भी महाकुम्भ नगर आ रहे हैं ।

आगामी 29 जनवरी को मौनी अमावस्या में होने वाला अमृत स्नान प्रयागराज महाकुम्भ में श्रृद्धालुओं के सैलाब को लेकर नया कीर्तिमान दर्ज करने जा रहा है। प्रशासन के दावे के मुताबिक इस स्नान पर्व में 7 से 10 करोड़ के बीच श्रद्धालुओं और पर्यटकों के महाकुम्भ पहुंचने का अनुमान है जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन के साथ साथ साधु संतों के शिविरों में भी इस पावन अवसर पर अमृत स्नान के लिए आने वाले भक्तों के लिए व्यवस्था की जा रही है।

पंच दशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी शैलेशानंद गिरी बताते हैं कि अकेले उनके शिविर में इस पुण्य पर्व पर फ्रांस, इटली, जापान और रूस से 5000 से अधिक विदेशी भक्तों के लिए व्यवस्था की जा रही है। पायलट बाबा के ये सभी भक्त 24 जनवरी से आना शुरू हो जाएंगे, मुक्ति और पुण्य अर्जित करने की आस लेकर आ रहे ये भक्त त्रिवेणी में अमृत स्नान करेंगे।

विश्व बंधुत्व का भाव भारतीय संस्कृति का मूल है जिसमें सभी तरह के भेद और विचारों का शमन हो जाता है। सनातन के गर्व, महा कुम्भ पर्व पर शांति, मुक्ति और सद्भाव की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। प्रयागराज महा कुम्भ में पायलट बाबा के शिष्य महा मंडलेश्वर स्वामी विष्णुदेवानंद जी के शिविर में इसकी एक अदभुत झलक देखने को मिल रही है। यहां युद्धरत देशों यूक्रेन और रूस के नागरिक एक ही मंच पर एक साथ अपने गुरु के सानिध्य में विश्व शांति के लिए शिवनाम का जाप कर रहे हैं।

रूस के नागरिक एंड्री बताते हैं कि पहली बार वह त्रिवेणी संगम आए हैं, यहां इतने सारे लोगों को एक साथ देखकर आंखों को यकीन दिलाना मुश्किल है। गंगा में डुबकी लगाना एक रहस्य जैसा अनुभव है। एंड्री कहते हैं कि वह लॉर्ड शिवा के भक्त हैं और इसलिए वह विश्व की शांति की कामना के लिए अपने गुरु के चरणों में प्रार्थना करते हैं, सभी भेद अब मिट गए हैं। वहीं, यूक्रेन से आए ओली सिमोवा भी स्वामी विष्णुदेवानंद जी के शिविर में रूसी नागरिक एंड्री के साथ मिलकर शिवनाम का जाप करते हैं। सिमोवा बताते है कि दस साल से वह इंडिया आ रहे हैं। गुरु के मार्ग दर्शन में लॉर्ड शिवा का ध्यान ही उनकी दुनिया है उनके लिए देश और राज्य की सीमाओं का भेद अब मिट चुका है।

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